6.12.08

भोजपुरी में 'लगान, जैसी फिल्म बनाऐंगे मनोज तिवारी


भोजपुरी के गायक से सुपर स्टार एवं फिल्म निर्माता बने मनोज तिवारी अगले वर्ष एक ऐसे फिल्म बनाने की घोषणा की जिसमें भोजपुरी एवं मैथिली दोनों ही भाषाओं का प्रयोग समान रूप से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा में वह हिन्दी फिल्म लगान जैसी फिल्म बनाएंगे, शोषण के विरूद्ध संघर्ष को क्रिकेट के जरिये सामने लाएंगे। तिवारी ने कहा कि श्रोता दो तरह के होते हैं। एक सडक़ का और दूसरा घर का। मेरा लक्ष्य घर के श्रोता तक पहुंचने का है। इसीलिए वह अपने गायन में अश्लीलता और फुहड़ता को तरजीह नहीं देते हैं। तिवारी ने कहा कि मुम्बई में उनका दम घूट रहा है और गांव से दूर रहने से उनकी रचनाधॢमता कुंद हो रही है। उन्होंने कहा कि मां एवं मातृभूमि से कोई भी बेटा दूर नहीं रहना चाहता है।

5.12.08

इग्नू में भोजपुरी के कोर्स के का भैलू बा ?

  • शैलेश मिश्र (डैलस, टैक्सस, अमेरिका)

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविधालय (इग्नू) जनवरी २००९ से भोजपुरी में फाउंडेशन कोर्स चालू करे के घोषणा कईले बा जवन कि भोजपुरी भाषा के बढावा देबे में एगो नया कदम बा अउरी भोजपुरी के औपचारिक रूप से पढाई में मदद करी. साथ ही एहसे भोजपुरी भाषा के मान्यता मिले में सहायता भी मिली. इग्नू के प्रोफेसर शत्रुघ्न कुमार भोजपुरी भाषा के लेके जोर-शोर से पाठ्यक्रम तैयार करे में लागल बाडन आ उनुकर प्रयास सराहनीय बा. इग्नू में भोजपुरी के पढाई एगो ऐतिहासिक कदम बा लेकिन एह भोजपुरी पाठ्यक्रम के इंडस्ट्री, मीडिया, भोजपुरिया समाज और छात्र-छात्रा के नज़र में का भैलू बा ?

भोजपुरी कोर्स होखे भा कौनो अउरी भाषा के पढाई -- ओकर भैलू तबे होला जब भाषा के विशेषज्ञ आ सही ज्ञान वाला जानकार लोग, कोर्स के निर्माण में शुरूवे से रहे. एह पर तनी ध्यान दिहीं, त सवाल उठेला भोजपुरी कोर्स के कंटेंट पर, आ पाठलेखक पैनल पर - जवना आधार पर आवे वाला भोजपुरी पढाई के नींव टिकल बा. इग्नू भोजपुरी भाषा के लेके गंभीर बा लेकिन हाल ही में एगो अइसनका आदमी के भोजपुरी कोर्स के पाठ लेखक के रूप में, पैनल में शामिल कईलस जे ना त शिक्षक हवन, ना प्रोफ़ेसर हवन आ ना ही कौनो साहित्यकार. एहसे भोजपुरी विभाग आ भोजपुरी कोर्स के भैलू पर प्रश्न-चिह्न लाग गईल बा . कवनो जरूरी नइखे कि पोपुलर और सर्वत्र व्यापी लोग हर क्षेत्र में सर्वज्ञो होखे.

१८ लाख से ज्यादा छात्रन के पढ़ावे वाला इग्नू में भोजपुरी कोर्स के पाठलेखकन का पैनल में, आज बुझात बा कि केहू भी शामिल हो सकेला आ जवन मन में आए, तवन विचार कोर्स में डलवा सकेला. कोर्स सलाहकार आ पाठ लेखक में अन्तर होला, पर दुनो में अनुभवी लोगन के सहायता चाहीं. प्रोफेसर शत्रुघ्न कुमार जइसन अनुभवी लोगन का निगरानी में भोजपुरी के पढाई पर एक ओर करोड़ों भोजपुरिया लोग आस लगाई के बईठल बा, त दूसरा ओर आवे वाला भोजपुरी पढाई के भविष्य बेसब्री से राह ताकऽतिया. लेकिन इग्नू विश्वविद्यालय के भोजपुरी शिक्षक-लेखक पैनल टीम जब मीडिया के चकाचक से चौंधिया जाय अउरी केहू के भी शामिल कर ले, त भोजपुरिया समाज में इग्नू के आवे वाला भोजपुरी कोर्स के का भैलू रही ?

कहल जाला कि भाषा जेतने सीखीं, ओतने नीमन बा काहें से कि भाषा से विचार के विकास होला. लेकिन विश्व के सबसे बड़का विश्वविधालय - इग्नू भी बिना कौनो आधार के अगर भोजपुरी पैनल में लोगन के शामिल करे लगे, त समझ लीं कि शिक्षा भी बिकाऊ हो सकेला आ काल-परसों बछिया के ताऊवो भोजपुरी के नाम पर कोर्स चालू करे लगिहन. वेबसाइट चलावे वाला इन्टरनेट मीडिया के लोग अगर भोजपुरी फाउंडेशन कोर्स के पाठ्यक्रम लिखे लगे त काल-परसों पंचायत के कहला पर पानवाला-दूधवाला भी इग्नू, बिहार यूनिवर्सिटी अउरी पूर्वांचल विश्वविद्यालय जईसन शिक्षा के मन्दिर चलावे लगिहन. नीमन सलाह केहू भी दे सकेला पर नीमन पाठ्यक्रम निकालल सबके बस के बात नइखे. आई.आई.टी से लेके टॉप कॉलेजन तक सैंकडों भोजपुरी भाषा विशेषज्ञ लोग बैठल बा, लेकिन इग्नू के नज़र मीडिया में फ़िसल गईल. इग्नू कवनो प्राइवेट संस्था ना ह, एकरा मतलब ई ना ह कि सरकारी विश्वविधालय में सरकारी राज चले.

भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य सम्बन्ध पूजनीय रहल बा लेकिन इग्नू के भोजपुरी कोर्स में अगर केहू भी गुरु के स्थान पर बईठे लागी, त शिक्षा में शिष्य के विश्वास ख़तम हो जाई अउरी अईसन कोर्स के प्रमाण-पत्र के भोजपुरी इंडस्ट्री में भैलू घट जाई। इहे ना, भोजपुरी डिग्री प्रदान करेवाला कॉलेज या विश्वविद्यालय भी हँसी के विषय बन के रही जाई. इग्नू के मान-मर्यादा अउरी फियुचर में भोजपुरी कोर्स के का भैलू रही, ओहसे लोग भोजपुरी सीख पायी कि ना, भोजपुरी पढ़िके कोर्स सर्टिफिकेट से लोग भोजपुरी इंडस्ट्री में नौकरी पायी कि ना - ई सब सवाल के जवाब आवे वाला समये बता पायी. फ़िलहाल त इग्नू में भोजपुरी राम भरोसे बिया.

(बलिया जिला के शैलेश मिश्र हिन्दी आ भोजपुरी भाषा के लेखक कवि हउवन; भोजपुरी असोसिएशन ऑफ़ नॉर्थ अमेरिका के संस्थापक आ अध्यक्ष हउवन; भोजपुरी के प्रसिद्ध सोशल नेटवर्क - भोजपुरीएक्सप्रेस।कॉम के सृजनकर्ता हउवन अउरी भोजपुरी मीडिया मंत्र ग्रुप के सलाहकार आ भोजपुरी असोसिएशन ऑफ़ इंडिया के शुभ-चिन्तक हउवन)

अंजोरिया से साभार

2.12.08

भोजपुरी लोकगीत का म्यूजिक में नया प्रयोग कर के आपन एगो नया पहिचान बनावल चाहत बानी ; पंकज प्रवीण

उभरत गायक पंकज प्रवीण से एगो बातचीत के अंश नीचे दिहल जा रहल बा.

-पंकज जी, पहिले अपना बारे में कुछ बताई ?

हमार घर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला में बा. बचपन के पढ़ाई गाँव में कईला का बाद बहराइच शहर में आ गइनी आ ६ठवीं क्लास से ले के ग्रेजुएशन तक के पढ़ाई ओहिजे से कईनी. हमार पापा जी एगो साधारण किसान हई, जे खेती किसानी से समय बचला के बाद एगो डॉक्टर का रूप में समाज सेवा भी कर लिहीना. हमरा अलावा अभी सब लोग गाँवहीं में ही रहेला.

-भोजपुरी क्षेत्र में ना रहला के बादो भोजपुरी से अतना लगाव कइसे बा ?

ई बात सही बा कि हमार आ हमरा पापा जी के जनम बहराइचे में भईल. बाकिर हमार दादा जी करीब पचास साल पहिले बिहार छोड़ के बहराइच आ के बस गइल रहनी. पचास साल बादो हमनी के घर परिवार आ संस्कार भोजपुरीये आ बिहारीये बा. हमरा गाँव में ९० फीसदी लोग बिहार भा पूर्वी उतेर प्रदेश से बा. कह सकीले कि कुल मिला के हमरा गाँव के माहौल एगो मिनी बिहारे नियन बा. बचपन में त हमरा इहो पता ना रहे की भोजपुरी का होला और हिन्दी का होला. एही वजह से हमरा भोजपुरी से अतना लगाव बा.

-भोजपुरी लेखन आ संगीत में रूचि कब से जागल?

जब हम आगे के पढ़ाई करे शहर में अईनी त बहुते सारा लोग से मुलाकात आ जान पहिचान भईल. लोगन से बातचीत कइला का बादे हमरा अपना मातृभाषा के महत्व के पता चलल. दुसर बात ई रहे कि लोग भोजपुरी के अतना महत्व ना देत रहे. जेकरा वजह से मन में भोजपुरी के खातिर एगो मोह लाग गइल आ ओहि से भोजपुरी लेखन आ संगीत में रूचि जाग गइल.

-फेर भोजपुरी गीत संगीत के सफ़र कहा से शुरू भइल ?

वैसे त हम बचपने से स्कूल कॉलेज में प्रतियोगिता में गीत संगीत लेके हिस्सा लेत रहनी, लेकिन भोजपुरी में संगीत के सफ़र "मनोज भइया" (मनोज तिवारी मृदुल) के प्रोग्राम देखला के बादे शुरु भइल. हम उनकरे के आपन आइडियल मान के बिना कौनो गुर के गीत गावल शुरु कर दिहनी. लोग पसंदो करे लागल त हम अपन पहिला स्टेज प्रोग्राम एनसीसी के प्रोग्राम में कइनी जहाँ भोजपुरी लोकगीत गवला खातिर हमरा के प्रथम पुरस्कार मिलल आ गोल्ड मैडल आ शील्डो मिलल. ओहिजे से सगीत के सफ़र शुरु भइल. सबले बड़ पुरस्कार हमारा अपना कॉलेज के गीत पतियोगिता में मिलल जहा ५० हिन्दी प्रतियोगियन का बीच हमरा के प्रथम पुरस्कार मिलल.

-राउर पहिलका अलबम "दिल दीवाना भइल" के शुरुआत कइसे भईल आ अलबम का बाद कइसन लागऽत बा ?

कॉलेजे का समय से हमारा अंदर भोजपुरी लोकगीत के जूनून रहल. ओकरा के पूरा करे के खातिर हम दिल्ली आ गइनी. भोजपुरी अलबम खातिर हमरा घर से कवनो सहायता भा प्रोत्साहन ना मिलल तबो हम अपना मन से अपना कमाई से अलबम के शुरुवात कइनी. बाकिर सब कुछ का बादो कुछ लोगन का वजह से हमार सपना वइसन पूरा ना भईल जइसन हम सोचले रहीं.खुशी बस अतने बा कि बहुत कुछ सीख गइनी जिन्दगी का बारे में आ लोगन से अतना प्यार मिलल जेतना हम सोचलहूं ना रहली.

-का सोच के आपन अलबम निकाले के सोचनी ?

देखीं. हम बहुत सारा भोजपुरी गीत सुनली. बहुत सारा गायकन लोग के सुनली. सब लोगन के विषयवस्तु आ अंदाज एकही जइसन रहे. आ अश्लीलता भोजपुरी के एगो सबसे बड़ा बीमारी लागत रहल. त हम सोचनी कि एगो नया अंदाज का साथे अश्लीलता के हटावे के कोशिश कहे ना कइल जाऊ ? बस इहे सोच के गीत के तइयारी शुरु कर दिहनी आ ओकरे परिणाम दिल दीवाना भइल का रूप में आइल, जवन आप के सामने बा.

-दिल दीवाना भइल के बारे में कुछ बताई ?

"दिल दीवाना भइल" एगो साफ सुथरा अलबम बा जेहमें लगभग सब प्यारे के गीत बा. एह गीतन के घर परिवार में भी सुनल जा सकेला. एकर शीर्षक गीत सबसे अछा बन गइल बा, जेकरा के हर उमिर के लोग पसंद कइले बा. हम समझत बानी कि शायद ई भोजपुरी के पहिला अलबम बा जेकरा में अश्लीलता के नाम पर कुछुओ नइखे.

-अब आगे का करे के बा ?

आगे हम दू गो आउरी अलबम के तइयारी करत बानी जे में से एगो के नाम बा "सोनू जी के पापा" और तीसरा अलबम होली तक आ जाई. एकरा अलावा हम कुछ नया टैलेंट का साथे भोजपुरी के पहिलका म्यूजिक बैंड "स र ग म राग भोजपुरी" ओ पर काम कर रहला बानी.

-रउरा भोजपुरी गीत से अश्लीलता हटावे के बात करत बानी. एहमे कहाँ तक सफल हो पाएब ?

देखीं. पहिलका अलबम का बाद हमार मनोबल बहुत बढ़ गइल बा. हम जवन चीज सुनावल चाहत रही ओकरा के लोग पसंदो कईलस. आ जब रेस्पोंस अच्छा आईल त हमरा का परेशानी बा ? अजी एही तरे काम करत रहब आ एकरा साथे हम भोजपुरी लोकगीत का म्यूजिक में नया प्रयोग कर के आपन एगो नया पहिचान बनावल चाहत बानी.

अंजोरिया से साभार

13.11.08

क्या आपने ऐसी सब्बी देखी है


10.11.08

पंडितजी का छोकरा एमबीए हो गया

-सूर्यकुमार पांडेय

पंडिज्जाी का छोकरा लल्लन एमबीए हो गया। फैमिली में खुशी का माहौल था। पंडिताइन ने कहा, ''ए जी, आज बरसों की मुराद पूरी हुई। गांव चलकर कथा कहलवा दी जाए। इसी बहाने अपना बच्चा बाप-दादों का गांव-घर भी देख लेगा। मैंने जो मन्नत मांग रखी है, वह भी पूरी हो जाएगी।''

पंडिज्जाी को पंडिताइन का सुझाव बेहद पसंद आया। पंद्रह दिन बाद ही वे बेटा-पत्नी समेत गांव में थे।

उनके आने की खबर पाकर गांव के कई एक लोग मिलने आए। इन्हीं में से एक तिलेसर भी थे।

पंडिज्जाी ने अपने एमबीए पुत्र लल्लन को बताया, ''ये तिलेसर भाई है। ये विलेज के रिश्ते से तुम्हारे अंकल लगते है। जानते हो नेक्स्ट मंथ इनकी डॉटर की मैरिज है!''

मैरिज का नाम सुनते ही लल्लन चहक

उठा। उसे लगा, आज ही वह राइट टाइम है, जब वह अपनी स्टडीज को प्रॉपर प्लेस पर अप्लाई कर सकता है। मैनेजमेंट साइंस को गांव में पहुंचाने का इससे सुंदर अवसर भला और क्या हो सकता था? हॉउ इट विल बी एक्साइटिंग इन विलेज कांटेक्स्ट! ऐसा सोचने मात्र से एमबीए के खुरों वाला वह हिरन कुलांचे भरने लग गया।

अब लल्लन ने तिलेसर की बेटी की इस गंवई शादी को न्यू लुक देने का प्लान किया।

लल्लन तिलेसर से बोला, ''अंकल, डोंट वरी। मैंने इवेंट मैनेजमेंट पढ़ा है। मैं आपकी डॉटर की मैरिज ऐसी मैनेज करूंगा कि होल विलेज देखता रह जाएगा।''

भकुआए तिलेसर ने पूछा, ''यह इवेंट मैनेजमेंट क्या होता है, बचुआ?''

''इवेंट मैनेजमेंट मींस इवेंट मैनेजमेंट!'' लल्लन ने अपनी उंगलियों को तिलेसर के सामने नचाते हुए कहा।

हालांकि तिलेसर के पल्ले कुछ भी नहीं पड़ा, फिर भी उन्होंने उत्सुकतावश पूछ लिया, ''इसमें होता क्या है?''

''एक इवेंट में सो मेनी थिंग्स मैनेज करने की होती है,'' लल्लन ने समझाते हुआ, ''जैसे आपके यहां मैरिज है, तो यह एक इवेंट है। इसमें टाइम मैनेजमेंट, मैनपॉवर मैनेजमेंट, वेहिकिल मैनेजमेंट, लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट वगैरह, ये सारे ऑस्पेक्ट्स अप्लाई करने होंगे। और यह सब मैं करूंगा। अब आप यह समझिए कि मैं आपका इवेंट मैनेजर हूं। देयरफोर, आपको कुछ नहीं करना है। ओनली फाइनेंसियल मैनेजमेंट का डिपार्टमेंट देखना होगा।''

जब पंडिज्जाी को यह लगने लगा कि लल्लन की बातें तिलेसर की खोपड़ी के ऊपर से निकल रही है, तो उन्होंने बीच में फांद कर देसी लहजे में समझाया, ''तिलेसर भाई, यह अपना लल्लन बहुत ही होनहार बच्चा है। एमबीए करके आया है। बस इतना जान लो कि एमबीए बीए से बहुत बड़ा होता है। जो एमबीए हो जाता है, वह बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करता है। मोटी तनख्वाहे मिलती है। यह तुम्हे बता रहा है कि तुम्हारी बिटिया की शादी का सारा इंतजाम यह अकेले दम पर संभाल लेगा। जरूरत पड़ी तो शहर से अपने आदमी ले आएगा। तुमको केवल पैसों का इंतजाम करना होगा।''

''कितने पैसों का?'' तिलेसर ने जानना चाहा।

''यही अराउंड फोर टू फाइव लैक्स।'' लल्लन ने कहा।

अचानक बगल में खड़ा गांव का कल्लन नाम का एक बीए पास लड़का हस्तक्षेप करता हुआ बोला, ''भाई साहब, तिलेसर काका की हैसियत तो चार पांच हजार की भी नहीं है। ये आगे से पीछे तक कर्ज में डूबे हुए है। अच्छा, मान लीजिए कि ये इतने पैसे अरेज कर भी लें, तो इस मैनेजमेंट विधि से क्या कुछ नया होगा।''

लल्लन- ''देन लिसेन, टाइम मैनेजमेंट में हम मैरिज की मिनट-टू-मिनट प्लानिंग करेगे। ह्वाट टाइम द्वारपूजा होगी। ह्वाट टाइम जयमाल होगा और ह्वाट टाइम मैरिज होगी? सब कुछ टोटली प्लांड होगा।''

कल्लन- ''भैया, इतने टेशन की क्या जरूरत है? सिर्फ सवा रुपए दक्षिणा देनी होगी। शादी के टाइम वगैरह की प्लानिंग तो अपने पुरोहित जी पंचांग देखकर कर देंगे। यहां गांव में सदियों से यही टाइम मैनेजमेंट चलता है।''

लल्लन - ''ठीक है। कुछेक ट्रेडीशनल चीजें होती है। हम उनसे एडजेस्ट कर लेंगे। मगर सारा काम टाइम से होना चाहिए। इसके लिए गाड़ियां अरेज करनी ही होंगी। आई मीन वेहिकिल मैनेजमेंट। इसमें हम बारातियों के ट्रांसपोर्टेशन की खातिर कार्स, बसेज, टैक्सीज वगैरह अरेज करेगे। ड्राइवर्स को प्रॉपर इंस्ट्रक्शन और ट्रेनिंग देंगे।''

कल्लन- ''भाई साहब, तिलेसर काका की हैसियत तो आप देख ही रहे है। ये इतने तामझाम नहीं झेल पाएंगे। लड़के वालों के गांव में दो ट्रैक्टर, चार मोटर साइकिलें, आठ छकड़े और सोलह बैलगाड़ियां है। घर-घर में ड्राइवर है। सारे बाराती लद लदाकर खुद-ब-खुद आ जाएंगे। हमें तो आपके इस वेहिकिल मैंनेजमेंट वाले फंडे की भी कोई जरूरत नहीं लगती।''

लल्लन- ''चलो, कोई गल नहीं। लेकिन मैरिज को ग्रेसफुल बनाना है तो डांस, एंटरटेनमेंट, इन्विटेशन, पब्लिसिटी की नेसेसिटी तो होगी ही।''

कल्लन- ''वह सब भी मद्दे में निपट सकता है। टीवी-वीसीडी पास के कस्बे से आ जाएंगे। नाच-गाने वालों की एक मंडली भी बगल के गांव में है। रात भर आनंद रहेगा। निमंत्रण-पत्र न भी छपवाएं तो क्या फर्क पड़ता है? गांव में हज्जाम के हाथों से हल्दी भिजवाकर भी काम चल सकता है। जहां तक दूर के नातेदारों-रिश्तेदारों को बुलाने की बात है तो उनको पोस्टकार्ड लिखकर सूचना दे दी जाएगी। भाई मेरे इन गांवों में अब भी इतना भाईचारा तो बचा ही है कि सारा प्रचार जुबानी हो सकता है। इतनी सी बात की खातिर मैनेजमेंट साइंस जैसी महान विद्या को बीच में लाने की भला जरूरत ही क्या है? लिमिटेड और लोकल रिसोर्सेज से मैक्सिमम आउटपुट लेने की कला गांव वालों को भी आती है। शादी का सामान, सिन्होरा, डाल, पटवे के यहां मिलते है। मंडप गांव के बांस से तैयार हो जाता है। अब तो नजदीक के कस्बे में कैटरर्स की दुकान भी खुल गई है। सब कुछ सस्ते में मैनेज हो जाता है।'' कल्लन के इस क्विक रेस्पांस से लल्लन खीज उठा था।

वह अपने पूज्य पिताश्री से बोला, ''डैड, ये पुआर ऑर्थोडेक्स विलेजर्स, इनका अपलिफ्टमेंट कतई नहीं हो सकता। इनका टोटल मैनेजमेंट सिस्टम ओल्ड मॉडल का है। हाउ बोरिंग दीज आर! आई कांट स्टे हियर मोर।'' पंडिज्जाी भी और क्या कहते। बोले, ''बेटा, आज शाम पूजा वाला काम हो जाए, तो हम लोग अर्ली मार्निग शहर के लिए निकल लेंगे। तुम्हारा फिलहाल किसी अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में प्लेसमेंट हो जाए, इसी पर ध्यान दो।''

''डैड, अपना इंडिया बदल गया। बट अभी इन विलेजर्स को चेंज होने में कितने इयर्स लगेंगे? इनको तो टाई भी थमा दो तो ये उसे सिर पर गमछे की तरह लपेट लेंगे। डैड, अगर मैं यहां एक-दो दिन और रुक गया तो खुद मिसमैनेज हो जाऊंगा।''

पंडिज्जाी क्या बोलते? वे चुपचाप गांव से वापसी के मैनेजमेंट में जुट गए। शायद शहर में लल्लन की जॉब के लिए किसी कंपनी से कॉल आ रही होगी।

लेखक का पता-
538 क/514, त्रिवेणीनगर द्वितीय, लखनऊ
जागरण से साभार

9.11.08

वीर अब्दुल हमीद बनेंगे मनोज तिवारी

भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार मनोज तिवारी मृदुल अब कई हिन्दी फिल्मों में भी जलवा विखेरने वाले हैं। फिल्म देशद्रोही बनकर प्रदर्शन के लिए तैयार है, वहीं परमवीर चक्र प्राप्त और भारत-पाकिस्तान के बीच १९६५ के युद्ध के नायक वीर अब्दुल हमीद पर एक ङ्क्षहदी फिल्म बनने जा रही है, जिसमें मनोज तिवारी मुख्य भूमिका निभाएंगे। बड़े बजट की इस फिल्म की शूङ्क्षटग उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले समेत विभिन्न स्थानों पर की जाएगी। वीर अब्दुल हमीद की भूमिका के लिए तिवारी अपने बाल छोटे कराएंगे। फिल्म के निर्माता आशिष जाल हैं और निर्देशक सुजा अली।

भोजपुरी फिल्म में नजर आएंगे अनिल कपूर व रवीना

बॉलीवुड के सितारों का भोजपुरी फिल्मों की ओर झुकाव बढ़ता जा रहा है। अब इस सूची में जाने माने अभिनेता अनिल कपूर तथा अभिनेत्री रवीना टंडन का नाम जुड़ने जा रहा है। मेगास्टार अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, अजय देवगन, शत्रु­धन सिन्हा और जैकी श्राफ पहले ही भोजपुरी फिल्मों में किस्मत आजमा चुके हैं। जब अनिल कपूर ने भोजपुरी फिल्मों में काम करने की इच्छा जताई, तो भोजपुरी सुपरस्टार मनोज तिवारी ने उन्हें अपने प्रोडक्शन में बनने वाली फिल्म के लिए एक रोल की पेशकश की।

इस फिल्म में अनिल और रवीना बिल्कुल अलग भूमिकाओं में नजर आएंगे। यह भूमिकाएं खास तौर पर दोनों सितारों के लिए लिखी गई हैं। तिवारी ने बताया कि रियलिटी डांस शो गली दी कुडि़यां ते गली दे गुंडे के दौरान अनिल और रवीना ने भोजपुरी फिल्म में काम करने की इच्छा जताई थी। उन्होंने मुझे कोई प्रोजेक्ट पेश करने के लिए कहा था। तिवारी ने बताया कि उन्होंने पटकथा पर काम शुरू कर दिया है और फिल्म अगले साल दीपावली तक रिलीज हो जाएगी। तिवारी अपनी अधिकतर भोजपुरी फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

तिवारी ने कहा कि हम फिल्म के लिए पटकथा पर काम कर रहे हैं। अनिल जी की सुविधा के अनुसार अगले साल जनवरी में शूटिंग शुरू हो जाएगी। क्योंकि उनके पास और भी प्रोजेक्ट हैं। तिवारी वर्तमान में अपनी दो नई फिल्मों ऐ भौजी की सिस्टर और मि. गोबर सिंह की शूटिंग कर रहे हैं। ऐ भौजी की सिस्टर में टीवी कलाकार मुकेश खन्ना और श्वेता तिवारी हैं। उनकी एक अन्य फिल्म हम हैं खलनायक से अभिनेता जैकी श्राफ भोजपुरी फिल्मों में कदम रख रहे हैं। इस फिल्म में कुछ विलंब हो गया। क्योंकि संदिग्ध एमएनएस कार्यकर्ताओं ने इस फिल्म की सतारा में शूटिंग के दौरान इसकी यूनिट पर हमला कर दिया था। बाद में शूटिंग अहमदाबाद में पूरी की गई।

अनिल कपूर की फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट और रेस का कारोबार ठीकठाक ही रहा, जबकि माई नेम इज एंथनी गोंजाल्वेज और टशन ने बॉक्स आफिस पर धूम मचाई। अब उन्हें एक हिट का इंतजार है। करीब 100 हिंदी फिल्में कर चुके अनिल ने हाल ही में एक इंग्लिश फिल्म स्लमडाग मिलिअनेअर की है। उनकी अगली फिल्म युवराज 24 नवंबर को रिलीज होगी। मस्त-मस्त गर्ल रवीना टंडन हिंदी फिल्मों के अलावा तमिल, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में काम कर चुकी हैं। वह फिलहाल शहर दी कुडि़यां ते गली दे गुंडे में जज की भूमिका निभा रही हैं। तिवारी इस शो के को होस्ट हैं।

तिवारी ने बताया कि भोजपुरी फिल्मों में अनिल और रवीना के प्रवेश से भोजपुरी फिल्म उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। अमिताभ बच्चन के भोजपुरी फिल्म करने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भोजपुरी फिल्म उद्योग की ओर ध्यान गया है। उन्होंने कहा कि अमिताभ जी का भोजपुरी फिल्में करना उद्योग के लिए सम्मान ग्लैमर और प्रसिद्घि की बात है। अमिताभ ने अपने मेकअप मैन दीपक सावंत की भोजपुरी फिल्म गंगा में हेमा मालिनी के साथ काम किया था। यह अमिताभ की पहली भोजपुरी फिल्म थी। बाद में उन्होंने एक अन्य भोजपुरी फिल्म गंगोत्री में भी काम किया। भोजपुरी फिल्म उद्योग तब सुर्खियों में आया था जब 2003 में मनोज तिवारी और रविकिशन की फिल्म ससुरा बड़ा पैसे वाला सुपरहिट हुई थी। आज इसकी दर्शक संख्या 25 करोड़ से भी अधिक हो चुकी है।

जागरण

उफान पर है भोजपुरी सिनेमा...


कोई १०-१२ साल पहले की ही बात है जब सिनेमा पर बात करते हुए कोई भूले से भी भोजपुरी सिनेमा के ऊपर बात करता था,पर यह सीन अब बदल गया है.हिन्दी हलकों में सिनेमा से सम्बंधित कोई भी बात भोजपुरी सिनेमा के चर्चा के बिना शायद ही पूरी हो पाए.ऐसा नहीं है कि भोजपुरी सिनेमा अभी जुम्मा-जुम्मा कुछ सालों की पैदाईश है.सिनेमा पर थोडी-सी भी जानकारी रखने वाला इस बात को नहीं नकार सकता कि भोजपुरी की जड़े हिन्दी सिनेमा में बड़े गहरे तक रही हैं.बात चाहे ५० के दशक में आई 'नदिया के पार'की हो या फ़िर दिलीप कुमार की ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली फिल्मों की इन सभी में भोजपुरिया माटीअपने पूरे रंगत में मौजूद है.इतना ही नहीं ७० के दशक में जिन फिल्मों में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने धरतीपुत्र टाइप इमेज में आते हैं उन सबका परिवेश ,ज़बान और ट्रीटमेंट तक भोजपुरिया रंग-ढंग का है.और इतना ही नहीं यकीन जानिए ये अमिताभ की हिट फिल्मों की श्रेणी में आती हैं।
वैसे भोजपुरिया फिल्मों का उफान बस यूँ ही नहीं आ गया है बल्कि इसके पीछे इस बड़े अंचल का दबाव और इस अंचल की सांस्कृतिक जरूरतों का ज्यादा असर है.९० का दशक भोजपुरी गीत-संगीत का दौर लेकर हमारे सामने आया ,अब ये गीत-संगीत कैसा था (श्लील या अश्लील),या फ़िर इनका वर्ग कौन सा था ये बाद की बात है.हालाँकि यह भी बड़ी कड़वी सच्चाई है कि इसके पीछे जो दिमाग लगा था वह किसी सांस्कृतिक मोह से नहीं बल्कि विशुद्ध बाजारू नज़रिए से आया था.वैसे इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि इसीकी दिखाई राह थी जो भोजपुरी सिनेमा का अपना बाज़ार/ अपना जगत बनने की ओर कुछ प्रयास होने शुरू हो गए.परिणाम ये हुआ कि अब तक भोजपुरी का जो मार्केट सुस्त था और जिसे भोजपुरी गीत-संगीत ने जगाया था वह अब चौकन्ना होकर जाग गया.वो कहते हैं ना कि सस्ती चीज़ टिकाऊ नहीं होती वही बात इन गीतों के साथ हुई क्योंकि कुछ ना होने की स्थिति में लोगों ने इन्हे सुननाशुरू किया था,मगर अब वैसी कोई मजबूरी नहीं रह गई .अब देखने वाले इस बात को आसानी से देख सकते हैं कि भोजपुरी अलबमों का सुहाना (?)दौर बीत चुका है लोग अब भी 'भरत शर्मा' ,महेंद्र मिश्रा'बालेश्वर यादव''कल्पना' ,'शारदा सिन्हा'जैसों को सुनना पसंद करते हैं जबकि 'गुड्डू रंगीला','राधेश्याम रसिया',जैसों को सुनते या उनका जिक्र आते ही गाली देते हैं।
ऐसा नहीं है कि भोजपुरी फ़िल्म जगत का ये दौर या उफान बस एकाएक ही आ गया .दरअसल पिछले १०-१५ सालों से हिन्दी सिनेमा से गाँव घर गायब हो चला है अब फिल्मों में यूरोप और एन आर आई मार्केट ही ध्यान में रखा जाने लगा था क्योंकि अपने देश में फ़िल्म के नहीं चल पाने की स्थिति में मुनाफे का मामला वहां से अडजस्ट कर लिया जाता .एक और बात इसी से जुड़ी हुई थी कि गाँव की जो तस्वीर इन फिल्मों में थी वह पंजाब ,गुजरात केंद्रित हो चला था स्थिति अभी भी ऐसी ही है.बस इतनी बड़ी आबादी को अब सिनेमा में अपनी कहानी चाहिए थी अपने व्रत-त्यौहार, अपने लोग,अपनी बात ,अपनी ज़बान चाहिए थी और समाज और मार्केट दोनों ही इसकी कमी शिद्दत से महसूस कर रहे थे और लोगों की इस भावनात्मक जरुरत को भोजपुरी फिल्मों ने पूरा किया और देखते ही देखते भोजपुर प्रदेश के किसी भी शहर के अधिकाँश सिनेमा-घरों में भोजपुरी फिल्में ही छा गई और दिनों दिन छाती जा रही है.अब तो इसका संसार अपने देश की सीमाओं के पार तक पहुँच गया है इतना ही नहीं इसके इस उभार को देखकर ही हमारे हिन्दी सिनेमा के बड़े-बड़े स्टार तक इन फिल्मों में काम कर रहे हैं,इस पूरे तबके को अब अपना ही माल चाहिए यही कारण है कि बिहार और पूर्वांचल के बड़े हिस्से में अक्षय कुमार की जबरदस्त हिटफ़िल्म 'सिंह इज किंग'ठंडी रही।
अभी तो यह रेस और तेज़ होगी देखते जाइये...

मुसाफ़िर ब्लाग से साभार

8.11.08

हम हूं भोजपुरी के 'भैया': मनोज तिवारी

भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार और नाइन एक्स के 'चक दे बच्चे' के 'देसी एंकर' मनोज तिवारी सात नवम्बर को मध्यप्रदेश उत्सव में भोजपुरी गीतों की प्रस्तुति देने के लिए भोपाल में थे। इस दौरान उन्होंने राजधानी से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र पत्रिका को अपना विस्तृत साक्षात्कार दिया। पत्रिका में प्रकाशित साक्षात्कार को जस के तस पोस्ट कर रहा हू

क्या भोजपुरी फिल्मों की कामयाबी वाकई उतनी ही बड़ी है जितनी कही जाती है?

निश्चित रूप से, भोजपुरी सिनेमा आज एक कामयाब सिनेमा की तरह स्थापित हो चुका है। इसे अन्य भाषाई लोग भी पसंद कर रहे हैं। पिछले पांच सालों में करीब 450 भोजपुरी फिल्में रिलीज हुई हैं और इससे सच्चाई साबित हो जाती है।

इन दिनों भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री मुंबई से बाहर जाने की तैयारी में है, क्या इसका कारण हालिया राजनीतिक विवाद है?

मैं इसके पीछे किसी भी तरह के राजनीतिक या भाषाई विवाद को कारण बिलकुल नहीं मानता। मेरा मानना है कि भोजपुरी इंडस्ट्री को अब विस्तार की जरूरत है, इसीलिए इसे मुंबई के दायरे से बाहर निकालकर बिहार और उत्तरप्रदेश जैसी जगहों पर ले जाने पर विचार किया जा रहा है।

क्या इस शिफ्टिंग के लिए किसी राज्य सरकार की ओर से सहयोग का भी प्रस्ताव मिला है?

हां, बिलकुल। बिहार सरकार ने इसके लिए पटना के पास दो सौ एकड़ जमीन के साथ-साथ दो सौ करोड़ रुपए देने की बात कही है। यदि यह संभव हुआ तो निश्चित रूप से इस इंडस्ट्री के भविष्य के लिए ये एक बड़ा कदम होगा।

मनोज तिवारी मूल रूप से एक्टर है या सिंगर?

मैं पहले अपने आपको भोजपुरी परम्परा का लोकगायक मानता हूं, एक्टर उसके बाद। लेकिन लोगों से मिले भरपूर प्यार के कारण मेरे लिए दोनों ही बराबर महत्व रखते हैं।

आपके पसंदीदा गायक कौन हैं?

मेरी अपनी भोजपुरी परम्परा में भिखारी ठाकुर महान लोकगायक हुए हैं। वे मेरे ही नहीं बल्कि भोजपुरी से जुड़े हर व्यक्ति के पसंदीदा गायक हैं। 'बिदेसिया' जैसे उनके रचे गीतों ने भोजपुरी गीत-संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई है।

आपकी नई फिल्म?

तीन दिन पहले मेरी नई भोजपुरी फिल्म 'ए भाभी की सिस्टर' रिलीज हुई है, जिसे यूपी और बिहार में शानदार इनीशियल मिला है।

भोपाल के बारे में क्या कहेंगे?

मैं पहली बार इस शहर में आया हूं और सच कहूं तो भोपाल मेरी कल्पना से कहीं ज्यादा साफ और सुंदर जगह है। यदि इसका प्रमोशन सलीके से किया जाए तो पर्यटन के क्षेत्र में इसका महत्व और ज्यादा बढ़ सकता है।

6.11.08

बिहार में बनेगा भोजपुरी फिल्म स्टूडियो

मुम्बई में गैर मराठियों को लेकर जारी विवाद और विरोध के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुप्रसिद्ध भोजपुरी फिल्म अभिनेता मनोज तिवारी की पहल पर बिहार में २०० करोड़ रुपए की लागत से विश्वस्तरीय फिल्म स्टूडियो बनाने का निर्णय लिया है। मनोज तिवारी ने गुरुवार को बताया कि मुख्यमंत्री ने उनसे फोन करके इस निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस स्टूडियो के लिए पटना से ४० किलोमीटर दूर राजगीर रोड पर २०० एकड़ जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। मनोज तिवारी ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष भोजपुरी फिल्मों कें निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाने की मांग की थी और मुख्यमंत्री ने उनकी इस पहल का स्वागत किया था। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने उनसे फोन पर कहा कि बिहार सरकार भोजपुरी भाषा के विकास के लिए सदैव तत्पर है। स्टूडियो के निर्माण के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी और स्टूडियो के निर्माण की जिम्मेदारी भारतीय प्रशासनिक सेवा के किसी अधिकारी को सौंप दी जाएगी।

भोजपुरी फिल्म उद्योग को अब बिहार का भरोसा

भारत के अलावा फिजी, मलेशिया, सूरीनाम, गुआना, मोजाम्बिक, इंडोनेशिया और मारीशस में पांच करोड़ लोगों के बीच बोले जाने वाली भोजपुरी भाषा के पांच सौ करोड़ से ज्यादा के फिल्म उद्योग व्यवसाय को जहां मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की उत्तर भारतीय विरोधी मुहिम से धक्का लगा है वहीं उत्तरप्रदेश सरकार ने उस उद्योग को राज्य में स्थापित किए जाने से साफ मना कर दिया है।

भोजपुरी फिल्म उद्योग ने राजधानी लखनऊ समेत राज्य के किसी भी हिस्से में इसको मुंबई से यहां लाने के लिए अनुमति देने का आग्रह किया था लेकिन मायावती की सरकार ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। अब पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गए इस उद्योग को बिहार का ही भरोसा रह गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार की अरुचि के कारण अब भोजपुरी फिल्म उद्योग बिहार में जाने को तैयार है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने उद्योग को प्रदेश में आने के लिए आमंत्रित भी किया है। संस्कृति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि भोजपुरी फिल्म उद्योग को राजधानी लखनऊ समेत राज्य में कहीं भी बसाने को लेकर पत्र मिला था जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया, क्योंकि इस पर नीतिगत फैसला होना है जो मुख्यमंत्री के स्तर पर होता है।

अधिकारी ने इस मामले में ज्यादा कुछ कहने से इनकार किया, लेकिन यह संकेत जरूर दिया कि मुख्यमंत्री मायावती की नाचने गाने वाले उद्योग में ज्यादा रुचि नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सचिवालय को रोज कई पत्र मिलते हैं तथा इसमें निर्णय लेने में देर भी लग सकती है। संस्कृति विभाग के अधिकारी ने कहा कि भोजपुरी फिल्म उद्योग को नोएडा तथा अन्य इलाके में बसाने में कोई परेशानी नहीं है।

भोजपुरी टीवी चैनल महुआ पहले से ही नोएडा में है। नोएडा में बस उद्योग को जमाने के लिए अनुमति देने की जरूरत है क्योंकि आधार भूत सुविधायें वहां पहले से ही मौजूद हैं। भोजपुरी फिल्म के अभिनेता, निर्देशक तथा गायक मनोज तिवारी ने लगभग पंद्रह दिन पहले राज्य के संस्कृति मंत्री सुभाष पांडेय को पत्र लिखकर लखनऊ या राज्य के किसी इलाके में उद्योग को बसाने की अनुमति देने तथा इसमें मदद का आग्रह किया था। पत्र में कहा गया था कि मनसे की कार्रवाई से भय का माहौल है तथा मुंबई में अब काम कर पाना मुश्किल हो गया है। मनोज तिवारी ने कहा कि मुंबई में भोजपुरी फिल्म कलाकार, निर्माता और निर्देशक आतंक के साये में जी रहे हैं और वहां काम कर पाना मुश्किल होता जा रहा है लिहाजा अब इस उद्योग को लखनऊ या पटना में बसाना ही ठीक है।

भोजपुरी फिल्मों के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले कलाकार रवि किशन ने कहा कि यदि मुंबई के हालात नहीं सुधरते हैं तो पूरे भोजपुरी फिल्म उद्योग को बिहार या उत्तर प्रदेश में ले जाना ही ठीक होगा। भोजपुरी में साल में कम से कम बीस फिल्में बनती हैं तथा सैंकड़ों लोग इस उद्योग से जुड़े हैं जिनमें मराठी भाषी भी हैं। भोजपुरी फिल्मों में सुभाष घई, एकता कपूर तथा टिनू आनंद जैसे निर्माताओं ने भी पैसा लगाया है तथा अमिताभ बच्चन, राज बब्बर, जूही चावला, रति अग्निहोत्री और नगमा जैसी हिंदी फिल्मों के कलाकार ने काम किया है। उक्रेन की अदाकारा तान्या भोजपुरी फिल्म फिरंगी दुल्हनिया में रूसी लड़की का किरदार निभा चुकी हैं। ब्रिटेन की जसिका बाथ ने दो भोजपुरी फिल्मों में काम करने की मंजूरी दी है।

भोजपुरी की लोकप्रियता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 2005 में हिंदी की सबसे हिट फिल्म बंटी और बबली से ज्यादा का बिजनेस भोजपुरी फिल्म ससुरा बड़ा पैसे वाला ने किया था।

जागरण से साभार

4.11.08

अब भोजपुरी में समाचार बुलेटिन

आकाशवाणी के वाराणसी केन्द्र से आगामी छह नवम्बर से देश में पहली बार भोजपुरी समाचार बुलेटिन का प्रसारण शुरू होगा। भोजपुरी समाचार बुलेटिन का प्रसारण एवं नवसृजित उपग्रह केन्द्र का उद्घाटन प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बलजीत ङ्क्षसह लाली करेंगे। भोजपुरी समाचार का प्रसारण प्रतिदिन पांच मिनट का होगा। इसका प्रसारण शाम ५.३५ से ५.४० बजे आकाशवाणी के गोरखपुर केन्द्र से होगा। भोजपुरी समाचार के प्रसारण का देश में यह पहला केन्द्र होगा। यह समाचार न्यूज सॢवस डिवीजन की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगा। भोजपुरी समाचार बुलेटिन का प्रसारण गोरखपुर केन्द्र के साथ ही आकाशवाणी के वाराणसी तथा ओबरा केन्द्र भी होगा। इस प्रसारण से पूर्वी उत्तरप्रदेश के कई जिलों के अलावा पड़ोसी राज्य बिहार और मध्य प्रदेश के कुछ जिले भी लाभान्वित होंगे। साथ ही मारिशस, ट्रिनीडाड, टोबैगो समेत अन्य देश जहां पर भोजपुरी बोलने व जानने वाले हैं भी समाचार को सुन सकेंगे।

3.11.08

छठी माई के मुफ्त प्रसाद


कहा जाता है कि छठी मईया का प्रसाद ग्रहण मात्र करने से आपके सारे दुख दूर हो जाते हैं. लेकिन अगर आप घर से दुर रहते हों, या फिर आपके घर में छठ पर्व नहीं होता है, तो भी आपको निराश होने की जरुरत नहीं है. छठी मईया का पावन प्रसाद हर साल की भांति इस साल भी ऑनलाइन उपलब्ध है.

भोजपुरी भाषा व संस्कृति को समर्पित वेबसाइट भोजपुरिया डॉट कॉम ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी घर से दुर रहने वाले बिहार व उत्तर प्रदेश वासियों के लिए प्रसाद घर-घर पहुँचाने की मुहिम शुरु कर दी है. इस सुविधा का फायदा उठाने के लिए आपको सिर्फ भोजपुरिया डॉट कॉम पर जा के एक ऑनलाइल फार्म में अपना नाम-पता दर्ज कराना होगा. उसके बाद भोजपुरिया डॉट कॉम के द्वारा छठ के दुसरे दिन आपको प्रसाद कुरियर के द्वारा भेजा जायेगा.

वर्ष 2005 में शुरु की गई इस अनोखी, और दुनिया में अपने तरह की अकेली मुहिम का उद्देश्य युवा पीढी को भोजपुरी भाषा व संस्कृति से जोडे रखना है. छठ प्रसाद के लिए ऑनलाइन बुकिंग 5 नवम्बर की सुबह 7 बजे तक की जा सकती है, तथा इस प्रसाद के लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.

इसके अलावा भोजपुरिया डॉट क़ॉम पर भोजपुरी भाषा में छठ के ई-ग्रीटिंग कार्ड भी उपलब्ध हैं, जिन्हे आप अपने मित्रों व परिजनों को नि:शुल्क भेज सकते हैं.

"छ्ठी मईया के प्रसाद को भेजने की हमारी मुहिम को समाज के हर तबके द्वारा सराहा गया है. उसी से उत्साहित होकर इस वर्ष हम अपने वेबसाइट में देश के हर कोने में होने वाले छठ के बारे में खबरें व एक खास छ्ठ फोटो-गैलरी भी पेश करने जा रहे हैं, जहाँ लोग छ्ठ के हरेक रंग को अपने में समेट सकेंगे." भोजपुरिया डॉट कॉम के निदेशक सुधीर कुमार ने बताया.

यहाँ यह बताना जरुरी होगा कि भोजपुरिया डॉट कॉम भोजपुरी-भाषा बोलने वालों का पहला ऑनलाइल पोर्टल है, जिसने देश के सर्वेश्रेष्ठ कल्चरल वेबसाइट के अलावा, देश-विदेश में कई अन्य पुरस्कार जीते हैं।



2.11.08

मुंबई छोडे़गा भोजपुरी फिल्म उद्योग!

उत्तर भारतीयों के खिलाफ राज ठाकरे के अभियान से बढ़ती असुरक्षा की भावना के बीच 200 करोड़ रुपए का भोजपुरी फिल्म उद्योग मुम्बई से बाहर जाने पर विचार कर रहा है, जिससे इसमें काम करने वाले सैंकड़ों महाराष्ट्रियन कामगारों को नुकसान हो सकता है।
भोजपुरी फिल्म उद्योग में औसतन हर साल 75 फिल्में बनती हैं और इसके दर्शक 25 करोड़ लोग हैं। इसके निर्माण के विभिन्न चरण में राज्य के सैंकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है। इस फिल्म उद्योग के तहत मुम्बई में 50 पंजीकृत प्रोडक्शन हाउस हैं। उद्योग ने बिहार एवं उत्तरप्रदेश जैसे कुछ राज्यों की सरकारों से इस संबंध में बातचीत शुरू कर दी है। भोजपुरी सुपरस्टार और निर्माता मनोज तिवारी ने कहा कि हमने उत्तरप्रदेश सरकार को उसके संस्कृति मंत्री सुभाष पांडेय के जरिए लखनऊ में उद्योग की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा हम दिल्ली, नोएडा और पटना जैसे विकल्पों पर भी ध्यान दे रहे हैं। तिवारी का मानना है कि उद्योग को बिहार या उत्तरप्रदेश स्थानांतरित करने से भोजपुरी भाषी लोगों को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि भोजपुरी फिल्म उद्योग बड़ी संख्या में महाराष्ट्र के लोगों को रोजगार देता है, लेकिन इसके बावजूद उत्तर भारत से संबंध के कारण उद्योग को निशाना बनाया जाता है, जबकि इसके दर्शक पूरे देश में हैं।
तिवारी ने कहा हम भय की छत्रछाया में रह रहे हैं। मनसे के लोग आउटडोर शूटिंग के दौरान भी हमें निशाना बनाते हैं। हम यहां सुरक्षित नहीं हैं। अभिनेता तिवारी ने कहा कि उन्हें अपने एक फिल्म की शूटिंग सतारा में उस समय रोक देनी पड़ी जब मनसे के संदिग्ध कार्यकर्ताओं ने यूनिट पर हमला किया। इस फिल्म में बालीवुड के सितारे जैकी श्राफ भी हैं। बाद में फिल्म की शूटिंग अहमदाबाद में पूरी की गई। उल्लेखनीय है कि फरवरी में मनसे के कुछ कार्यकर्ताओं ने तिवारी के उपनगर वर्सोवा स्थित कार्यालय पर कथित रूप से हमला किया था। भोजपुरी फिल्म उद्योग के एक अन्य बड़े सितारे रविकिशन ने स्थानांतरण की योजना की पुष्टि करते हुए कहा कि भय के माहौल में लंबे समय तक कोई उद्योग नहीं काम कर सकता। अगर महाराष्ट्र में प्रतिकूल स्थिति बनी रहती है तो अन्य स्थान पर जाना ही उचित होगा। भोजपुरी फिल्म उद्योग उस समय चर्चा में आया, जब 2003 में मनोज तिवारी की फिल्म 'ससुरा बड़ा पैसे वालाÓ सुपरहिट हुई थी।

जागरण से साभार

1.11.08

छठी माई के बारात

खोल दीहिं प्रेम के दुअरिया ए बाबा
आइल बाटे छठी माइया के बारात
खीरिया व रोटिया के भोगवा लगाई
गोरिया रखेली आउर उपवास
खोल...............
छने-छने देखेली सुरतिया
घीउवा के बनावे पकवान
खोल..............
बांसे के सजावे टोकरिया
रखली पूजा के सगरो सामान
खोल..............
नंगे पंउवां चलेला टोलिया
करे सूरज बाबा के परनाम
खोल दीहिं प्रेम के दुअरिया ए बाबा
आइल बाटे छठी माइया के बारात
-मंतोष कुमार सिंह

सूर्योपासना का महापर्व छठ

सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ रविवार से शुरू होगा। इस महापर्व का पहला दिन नहाय खाय व्रत से शुरू होगा। श्रद्धालुओं रविवार को नदियों और तालाबों में स्नान करने के बाद पर्व के लिए तैयारी शुरू कर देंगे। छठ महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते है और उसके बाद एक बार ही दूध व गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब चांद नजर आए तब तक पानी पीते हैं और उसके बाद से उनका करीब ३६ घंटे का निराहार व्रत शुरू होता है। महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़ा होकर प्रथम अध्र्य अॢपत करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और कंद मूल से अध्र्य अॢपत करते हैं। छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अध्र्य देते हैं। दूसरा अध्र्य अॢपत करने के बाद ही श्रद्धालुओं का ३६ घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं।

31.10.08

चिट्ठियां

चिट्ठियां आतीं थीं
रोज
जिन्हें सहेजता था
तकिये के नीचे
और बार-बार पढ़ता था
जवाब के साथ
चिट्ठियों के साथ
मैं था
और
मेरा अस्तित्व,
मेरी भावनाएं
आज भी
मेरे साथ हैं
सिर्फ चिट्ठियां
  • मंतोष सिंह

30.10.08

छठ पर्व पर वेबसाइट


जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने देश के पूर्वांचल और खासतौर पर बिहार में श्रद्धापूर्वक मनाए जाने वाले त्योहार छठ पर गुरुवार को एक वेबसाइट का शुभारंभ किया। शरद यादव ने नई दिल्ली स्थिति पार्टी मुख्यालय में साफ्टवेयर कंपनी इनोडे द्वारा तैयार वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट छठपूजा डाट काम पर माउस क्लिक कर इस वेबसाइट का शुभारंभ किया। इस वेबसाइट पर छठ पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। आप भी इसका अवलोकन करें।

27.10.08

श्रद्धा के दीप


मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

शांति से सुख मिली सबके
रीति से प्रीत पागल हो जाई।
मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

आस-प्यास के करीं चाकरी
पूजा-पाठ के कायल हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

याद से दिल के राज बताईं
रंग-रूप के पायल हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

मेल-भाव से प्यार जगाई
चारू ओर उजाला हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।
  • मंतोष सिंह

25.10.08

एह से बेहतर ना हो सकेला राज ठाकरे के इलाज

वइसे त ई समय शायद केहू के सलाह देवे खातिर उचित नइखे, पर रउआ कबो सोचे के प्रयास करीं त बुझाई कि ई का कर रहल बानी जा हमनी का? अपना घर में आग लगा के, अपना बिहार के नुकसान पहुंचा के आखिर केकरा से बदला लेवे के प्रयास कर तानी जा हमनी का? दुश्मनो देखत होई त कहत होई कि एकरा से बड बेवकुफी ना हो सकेला। बहुत गुस्सा आव ता नूं...? कहाँ रहुए इ गुस्सा जब मुंबई में मुठ्ठी भर लोग जानवर लेखां पीटत रहे? तब ओहिजा केहू काहे ना एको गो ढेला उठावे के साहस करुए...? भाग के वापस अइला का जगह अगर रउआ ओहिजे ठहर गइल रहिती त शायद मामला ओह दिने खतम हो गईल रहित. पिछला बार बीस हजार से ज्यादा लोग महाराष्ट्र से भाग के बिहार आ उत्तर प्रदेश वापस आईल रहे... अगर एह में से आधा लोग (दस हजार) भी ओहिजा रुक के जबाब देवे के साहस कइले रहित, त महाराष्ट्र सरकार आ राज ठाकरे के का औकात बा... केन्द्र के मनमोहन सिंह सरकार ओह दिने हिल गईल रहित. राज ठाकरे के आजु तक गुजराती समाज के खिलाफ बोले के साहस काहें ना भईल? आग लाग जाई ओही दिन पूरा महाराष्ट्र में... ऊ हमनी के कमजोरी जान ता, ओही से हमनिए पे वार कर ता. आ जानो भी कइसे ना, ओकरा पीछे जवन वकीलन के फौज खडा बाटे, ओकर नेतृत्व भी एगो हमनिये के जौनपूर के वकील क रहल बाडे - अखिलेश चौबे. आ एतना कुछ भईला का बादो वकील साहब पूरा बेशर्मी से मीडिया में कह तारे कि राज ठाकरे को उत्तर भारतीय लोग गलत समझ रहे हैं. अरे, गलत त हमनी का तोहरा के समझ तानी जा, काहें कि दुश्मन के साथ देवे वाला भी दुश्मने होला... का हमनी के समाज में एतना भी साहस नइखे कि ई वकील साहब के अपना समाज से बहिष्कृत कइल जाव? जब ले एह तरह के विभिषण राज ठाकरे का संगे बाडे, का ऊ हमनी पर वार करे के कवनो मौका हाथ से जाए दी? शांत हो जाईं रउआ सभे, ई वक्त अपना के नुकसान पहुंचवला के ना, बल्कि विचार करे के बा? एगो ठोस रणनीति बनावे के बा, का चाणक्य के धरती से पैदा होखे वालन के रणनीति कबो फेल हो सकेला? का विश्वविजेता सम्राट अशोक, आ बाबू कुंवर सिंह के धरती केहू से हार मान जाई? जवन अहिंसा के पाठ महात्मा गाँधी हमनी के धरती प (चम्पारण) आके सीखले, का हमनी का ओकरा के भूला जायेब जा? कबो ना... बदला लेवे के तरीका भी बहुत आसान बाटे. आज काल्ह जमशेदपुर में राज ठाकरे के खिलाफ दूगो मामला दर्ज बाटे, जवना में उनका खिलाफ वारंट भी जारी हो चुकल बा, आ लाख कोशिस कइला का बादो आजु ले उनुका के अभी ले जमानत नइखे मिलल. आज हम अपील करब कि हर घर से, हर गाँव से, हर शहर से राज ठाकरे के खिलाफ मामला दर्ज करावल जाव... कवनो हमनी पर हमला खातिर..., त कवनो हमनी के धार्मिक भावना के ठेस पहुँचावे खातिर... त कवनो ओह छात्र के हत्या खातिर... त कवनो देशद्रोह खातिर... हजारन के संख्या में मामला दर्ज होखे, तब ऊ पूरा जिनगी ओही में परेशान रहि जाई. आ एक बेर बिहार पुलिस राज ठाकरे का हाथ में हथकडी लगा के खाली बिहार त ले आवे, फेर सारा दुनिया देखी चाणक्य के वंशजन के बदला...

24.10.08

युद्धपोत अमेरिकी, लेकिन संगीत भोजपुरी!

करीब सात एकड़ का विशाल अमेरिकी परमाणु पोत ‘यूएसएस रोनाल्ड रीगन’ अरब सागर में रात के घुप्प सन्नाटे में मंथर गति से चल रहा है और उसके ‘फ्लाईडैक’ से मीठी भोजपुरी गीत की तान उठ रही है।दुनिया के इस सबसे विशाल विमानवाही पोत पर तैनात करीब 60 लड़ाकू विमानों के बीच यह भोजपुरी गीत कौन गुनगुना रहा है?....पोत पर करीब साढ़े चार हजार अमेरिकी तैनात हैं और रात के भोजन का दौर समाप्त होने के बाद वे सोने की तैयारी कर रहे हैं। दिनभर तकरीबन 12 घंटे की 75 उड़ानों के शोर के बाद अब माहौल शांत हो चला है। ऐसे में वह कौन हो सकता है जो भारत की इस मीठी जुबान में तराने छेड़ रहा है।चार-पांच अमेरिकी नौसैनिक गौतम कुमार मोरोतिया के आसपास जमा हैं और बड़े चाव से वह गीत सुन रहे हैं। उन्हें भोजपुरी का एक शब्द भी नहीं आता, लेकिन जुबान और मोरोतिया के सुर की मिठास मंत्रमुग्ध करने वाली है।मोरोतिया भारतीय नहीं हैं। वे मॉरीशस में पैदा हुए हैं और 13 साल पहले अमेरिका चले गए थे। आठ साल पहले वे अमेरिकी नौसेना में शामिल हो गए। उस समय ‘यूएसएस रोनाल्ड रीगन’ बेड़े में शामिल में भी नहीं हुआ था और निर्माण के दौर से गुजर रहा था।
‘निमित्ज क्लास’ का यह नौवां जंगी पोत भारत और अमेरिका के संयुक्त नौसैनिक अभ्यास “मालाबार” के तहत अरब सागर में आया हुआ था और मोरोतिया महीनों से इस अभ्यास की बाट जोह रहे थे। आठ दिनों का यह अभ्यास आज सम्पन्न हो गया है। इस विमानवाही पोत पर जब भारतीय पत्रकारों के दल के आने का मोरोतिया को पता चला, तो वे इस बीस मंजिला पोत की 14 मंजिल पर हांफते-हांफते पहुंच गए।“मैं मोरोतिया हूं और आपके आने की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा था, उसने ठेठ हिंदी में कहा”।उनकी आंखों में आत्मीयता और उल्लास का सागर उमड़ रहा था। उन्होंने रहस्योदघाटन की मुद्रा में कहा, “चार पुश्तें पहले हमारे परिवार के लोग मॉरीशस आ गए थे। हम कोलकाता के रहने वाले थे। मैं मॉरीशस में ही पैदा हुआ और परिवार की भोजपुरी जुबान को मैंने कभी नहीं भूलने दिया”।मोरोतिया अमेरिकी नौसेना को अपनी सेवाएं देकर अभिभूत महसूस करते हैं।वे मैकेनिक हैं और भारत, मॉरीशस, अमेरिका और भोजपुरी के तार आपस में जोड़ने का उन्हें बेहद गर्व है। मोरोतिया ने बताया कि रात को फ्लाईडैक पर आकर जब वे भोजपुरी गीत गुनगुनाते हैं, तो दिनभर की थकावट उतर जाती है।
मोरोतिया ने बताया कि उनके बीच एक और भारतीय है, महेश शाह। फिर वह शाह को भी ढूंढकर ले आते हैं।महेश शाह इस अमेरिकी पोत से उड़ान भरने वाले ‘सुपर हॉर्नेट’ लड़ाकू विमानों की आंख-कान की तरह हैं। वे फ्लाई डैक पर उतरने वाले विमान को रास्ता बताते हैं और इंगित करते हैं कि पायलट को किस कोण से विमान उतारना है।शाह और मोरोतिया ‘यूएसएस रोनाल्ड रीगन’ की विशालता और उसकी खूबियों को कंठस्थ किए हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस जंगी पोत का रोज का खर्च दस लाख डॉलर (करीब पांच सौ लाख रूपए) है।यहां ढाई सौ गैलन दूध की रोज खपत होती है और 1200 अंडे यहां के नाविक प्रतिदिन हजम कर जाते हैं।

21.10.08

खड़ी दुपहरिया में बहार हो जाला

खड़ी दुपहरिया में बहार हो जाला॥
आवे जे संदेशा दिल जवान हो जाला..
जब से बलम जी परदेश गईले॥
हमरे जियरवा के सुधि नाही लिहले॥
एही बेरुखी से मनवा लाल हो जाला..
आवे जे संदेशा .......
अँखियों ही अँखियों में कटे सारी रतिया॥
दिनवा में चीर जाला सासु के बतिया॥
अईसे ताना मारे देहियाँ काठ हो जाला॥
आवे जे संदेशा .......
आज काल करत करत महीनो बीतेला॥
आवेले त रतिया उनके अँखियाँ कटेला॥
रुसले मनावे के मौको ना मिलेला॥
आवे जे संदेशा .......
सखियन से सीख लेके रहता बनवलीं॥
सासुजी से चोरी छिपे मोबाइल लेअवलि।
करीले मोबाइल त मिस कॉल हो जाला॥
आवे जे संदेशा .......
खड़ी दुपहरिया में बहार हो जाला॥
आवे जे संदेशा दिल जवान हो जाला॥
अभय त्रिपाठी
अंजोरिया से साभार

19.10.08

अपने मूल से भटक रहीं भोजपुरी फिल्में

भोजपुरी फिल्मों में बालीवुड की चर्चित फिल्मों के नाम और उनकी विषय वस्तु की नकल का बढ़ता प्रचलन फिल्म निर्माताओं और दर्शक दोनों को ही रास नहीं आ रहा। इसका सबसे कारण है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के बाहर के फिल्म निर्माता हिंदी की चर्चित फिल्मों के नाम व उसकी विषय वस्तु की नकल कर इन फिल्मों को फिर से भोजपुरी में पेश कर देते हैं। फिल्म निर्माता महसूस करते हैं कि स्टार चुनने की प्रणाली भी इसके लिए दोषी है। भोजपुरी फिल्मों में पहले सितारों का चयन होता है और उसके बाद कहानी लिखी जाती है।
फिल्म निर्माता अभय सिन्हा की हालिया प्रदर्शित 'बाहुबली' के साथ दो हिंदी फिल्में 'किडनैप' और 'द्रोण' भी प्रदर्शित हुईं। सिन्हा का दावा है कि उनकी फिल्म ने उत्तर प्रदेश और बिहार में बालीवुड की इन दोनों फिल्मों से बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि देश भर में फैले भोजपुरी सिनेमा के दर्शक उन्हीं फिल्मों को पसंद करते हैं जो बिहार और उत्तर प्रदेश की ग्रामीण परंपरा से जुड़ी होती हैं। उन्होंने कहा कि भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता और हिंदी फिल्मों की नकल परोसने की कोशिशें फ्लाप साबित हुई।
एक अन्य फिल्म निर्माता सुनील बुबना भी महसूस करते हैं कि भोजपुरी फिल्म बनाने वाले अपने लक्ष्य से भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिनेमा के दर्शक ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जो जमीन से जुड़ी महसूस हों। उनका कहना है कि फिल्म की लागत वसूलने के लिए जरूरी है कि भोजपुरी फिल्म सिनेमा हाल में कम से कम तीन से चार सप्ताह तक चले।
भोजपुरी फिल्मों के दर्शकों के लिए निरहुआ की फिल्म 'दीवाना' के अलावा 'भोजपुरिया डान' और मनोज तिवारी की 'हम हई खलनायक' जल्द प्रदर्शन के लिए तैयार हैं।

18.10.08

जनता अपना के ना जाने

  • जयन्ती पाण्डेय
एक दिन बाबा लस्टमानंद से रामचेला पूछले कि हो भाई, ई जनता का कहाला? साँचो बड़ा टेढ़ सवाल रहे. हार मान जाय त लस्टमानंद कइसे? थोड़की देर विचार के कहले कि जनता ओकरा के कहल जाला जेकरा वोट देहला से सरकार बनेले, विधायक आ सांसद होला लोग, प्रधानमंत्री आ मुख्यमंत्री चुनाला लोग. संक्षेप में कि ग्राम प्रधान से देस प्रधान ले के चुनाव जेकरा अंगुरी के इसारा से होला उहे जनता हऽ. कबहुं कबहुं मंच पर बइठल लोग भ्रम से जनता के जनार्दन कहि देला. अइसनका गलती कइ बेर हो जाला. लेकिन जनता के काम खाली वोट दिहल हऽ. एह धरा धाम पर ओकर जनम खाली एही खातिर होला. जइसे गंगा के ई धराधाम पर अवतरण पापी लोग के पाप धोवे खातिर भईल आ पापी लोगन के पाप धोवत धोवत ऊ खुदे गंदा हो गइल ओसहीं जनता नाम के ई जीवधारी प्राणी वोट देत देत निराश हो गइल बा. जनता अबहुंओ ओसहीँ बा जइसे सन सैंतालिस के पहिले रहे. ना जाने ई साठ बरिस कईसे पांख लगा के उड़ गइल. लोग कहेला कि ई तरक्की बा, ऊ तरक्की भईल बा, लेकिन जनता के हाल कहाँ सुधरल बा? वोट देहला के बाद जनता अपना काम में लाग जाले. रोटी कपड़ा आ मकान से छुट्टी मिलल त बाल बच्चा के पढ़ाई लिखाई आ ओह से संवास मिलल त दवा आ सबसे छूटल त दारू! ई सब से बेचारा के फुरसत कब मिलेला. जनता के लगे जे वोट मांगे जाला ओकरा लगे का ना होला, जईसे झूठ वादा, आश्वासन, फरेब, लठैत, गुण्डा, जाति, धर्म, विकास के सपना, अगिला पांच बरिस में चौबीसो घण्टा बिजली सब कुछ. कहीं त जनता फँसी.
जब चुनाव हो जाला तब जनता के हाथे चुनल प्रतिनिधि लोग से जनता के संवाद आ विवाद के चांस कमे मिलेला. संवाद से प्रतिनिधि बांचेला आ विवाद से जनता. संवाद आ विवाद से बांचे के एगो आऊर कारण होला कि जनता राजधानी में ना फटक सके आ प्रतिनिधिगण चुनाव क्षेत्र में ना आवेला लोग. नेता लोग के लगे वइसे राजधानी में बहुत काम होला, सरकार बनावे से गिरावे तक ले. क्रिकेट से जियादा दिलचस्प गेम हर साल राजधानी में होला. एकरा से अलहदा कुछ अइसनो होला जे चाह के भी चुनाव क्षेत्र में ना जुटावल जा सके ई सब आकर्षण से मुक्त भइल असंभव नइखे त कठिन त बहुत बा. एह में नेता लोग के का दोष बा? हम त एह में उहन लोगन के दोष नाम मान सकिले. अरे जिनगी के जीये के सबके अलग अलग तरीका हऽ. जले भाग में बा तले मजा ले लेवे में का दिक्कत बा? एतना के बावजूद नेता लोग साल में एक दू बार त चुनाव क्षेत्र में आव के दया जरूर कऽ देला लोग. कवनो बिपत परल, बाढ़ आइल, उद्घाटन शिलान्यास भईल त जाहीं के परेला. जाये के पहिला सूचना मीडिया के मिलेला, दोसरका सरकारी सूचना अधिकारी लोग के आ अन्तम सूचन पूज्य चमचन के. जनता के केहू ना पूछे. ई चमचा तय करेला लोग कि नेताजी कवना पुल के उद्घअटन भा कवना स्कूल के नेंव डलिहें आ उहाँ से कहाँ अइहें जहाँ जनता नामक जीवधारी के जमात जुटावल जाई आ संगे जुटावल जाई तीन गो मकार, मंच, माईक आ माला. ओकरा बाद भाषण, आश्वासन.
जब नेता बड़हन हो जाला, यानि कि जनता खातिर दुर्लभ हो जाला त नेता जी अपना भाई भा बेटा के चुनाव क्षेत्र में भेज देला। बड़ गाड़ी में आकर्षक चमचन के बीच ऊ दू दिन में पूरे चुनाव क्षेत्र के दौरा कऽ के राजधानी लौट जाला. जनता के कहीं कवनो भूमिका ना रहेला. जनता आपन मुंह सीसा में निहारऽत रहेला कि ऊ असल में का हऽ आ का उजे ई नेताजी के चुनले रहे?

16.10.08

सेंसेक्स के पीछे छोड़ली हेमा मालिनी



आजुओ हेमा मालिनी के जलवा बरकरार बा। ऐकर नजारा १६ तारीख के देखे के मिलल। इंटरनेटवा पर खाली हेमा मालिनी ही छाईल रहली। ऐही दिन उनकर जनमदिन भी रहल। इंटरनेटवा पर सबसे जयादा उनकरा के लोग खोजलन। सर्च इंजन गूगल के कहल बा कि टाप दस में उनकर स्थान सबसे ऊपर रहे। उनकरी बाद सेंसेक्स के स्थान रहे।

चलनी के चालल दुल्हा

बिहार के एगो पारम्परिक गीत ह "चलनी के चालल दुलहा सुप के पछोरल हे..... माने अईसन दुल्हा जेकरा में कउनो दोष, कउनो अवगुन नईखे। एही पारम्परिक गीत के शुरुआती लाइन "चलनी के चालल दुल्हा" के अपना फिलिम के शीर्षक बनाके साई इन्टरटेनमेन्ट आ निरहुआ इन्टरटेनमेन्ट एगो दमदार कहनी के जरिये भोजपुरी फिलिम जगत में धमाका करे के तइयारी में बा। जेकर निर्देशक अजय सिन्हा बाड़न।
एह फिलिम के कहानी जवना हिसाब से दिनेश लाल यादव हमरा के सुनउलन ओकरा आधार पर हम कह सकऽतानी कि ई फिलिम परिवार के साथे देखला में मजा आई। दिनेश लाल इहो बतउलन कि एह फिलिम से भोजपुरी फिलिम जगत में दुगो नवका कलाकारन प्रवेश लाल यादव आ शुभा शर्मा के दाखिला हो रहल बा।
अबहीं फिलिम के शूटिंग पंचगनी में भइल ह बाकिर एक दु दिन में पुरा युनिट शूटिंग ला आजमगढ़ जाई। अपना रोल से खुश प्रवेश लाल यादव के कहनाम बा कि एगो अभिनेता के रुप में ई हमार पहिलका फिलिम ह आ हम बहुते भागशाली बानी कि हमरा पहिलके फिलिम में कलरफुल रोल मिलल बा।
साई इन्टरटेनमेन्ट आ निरहुआ इन्टरटेनमेन्ट के बइनर में बनि रहल एह फिलिम के निरमाता अजय सिन्हा आ दिनेश लाल यादव बाड़न। फिलिम के कहानी आ पटकथा लीला सिन्हा के संवाद अजय सिन्हा आ निलय उपाध्याय के लिखल ह। कलाकारन में अभिनेता प्रवेश लाल यादव आ अभिनेत्री शुभा शर्मा के अलावे मनोज टाईगर, संतोष श्रीवास्तव, विदिशा बनर्जी, मानवेन्द्र आ अजय सिन्हा बाड़न। फिलिम में सुपरस्टार दिनेश लाल यादव "निरहुआ" आ अभिनेत्री पाखी के भी मउजुदगी बा। "चलनी के चालल दुल्हा" के गीतकार प्रवेश लाल यादव, श्याम देहाती आ अशोक सिन्हा, स्टंट निर्देशक आर।पी. यादव, कला निर्देशक शम्मी तिवारी, डांस निर्देशक कानू मुकर्जी, कैमरामैन मनीष के व्यास आ प्रचारक अशोक भाटिया बाड़न।

भोजपुरी संसार से साभार

11.10.08

महलों की महफिल, कैसे सजेगी

अंधेरे में हमने, जीवन गुजारा
उजाले से कैसे, दोस्ती करूंगा
बचपन कटा है, घरौंदों में जिसका
महलों की महफिल, कैसे सजेगी
अंधेरे में -----------------
दिल में न था, गम का किनार
मोहब्बत के दीये, कैसे जलेंगे
अंधेरे में -----------------
उन्हें क्या पता, क्यों हम हैं खफा
मनाते जो हमको, कैसे मनाते
अंधेरे में -----------------
रहने दो हमको, खुशियों के घर में
गांवों की गलियां, कैसे सजेगी
अंधेरे में हमने, जीवन गुजारा
उजाले से कैसे, दोस्ती करूंगा

  • मंतोष सिंह

9.10.08

झूठमूठ काहे ललचाई

डा॰ अशोक द्विवेदी
झूठमूठ काहे ललचाई
जवन जुरी-आँटी
ऊ खाई!
रार बेसाहे खातिर होता
ऊँच-नीच के बात
दूभर होत जात बा दिन अब
खदकावत बा रात.
भारी लउके सब, सबका पर,
सेर सभे
आ सभे सवाई!
नवहन के, ना बाग अड़ाला -
गलते सही बुझाव.
छोट छोट बतियो में होखे
रोजे कुकुरबझाव.
के टोकी, आ के समझाई ?
के आपन मूड़ी कुँचवाई!
मानत बानीं, सबुर करे के
गइल जमाना पाछे.
बाकिर नट्टिन राजनीति
माया फइला के नाचे.
लट्टू हो के हाव-भाव पर
इहाँ-उहाँ अब
के छिछियाई !
कान ना दिहलस अपने जामल
बेटा भल अमान.
मिठबोलियन का दाँव-पेंच से
बा अबहीं अनजान.
कहलीं ओसे, कई बेर हम
तृष्ना में
ई जनवो जाई!
अंदेसा में ऊँच-नीच के
जिउवा बहुत डेराय.
घर से निकलल भइल कठिन
अब, काँटे रोज रुन्हाय.
राह‍घाट में, बात बात में
कहवाँ कहवाँ
का फरियाई!
जवन जुरी आँटी
ऊ खाई!!
अंजोरिया से साभार

6.10.08

वारिस खातिर लइका चाहीं

  • अभय त्रिपाठी
वारिस खातिर लइका चाहीं मचल बा हाहाकार।
कोखी से ही लइकी साथे हो रहल बा भेदाचार।
हो रहल बा भेदाचार कि सुन लीं लइकन के करनी।
एगुड़े कोठरी में पेटवा काट के चार चार के पलनी।
कहे अभय कविराय कि अब आईल बा जमाना।
चार चार कोठरी के किला में भी ना माँ बाप के ठिकाना।
बोई ब पेड़ बबूल के त आम कान्हा से पई ब।
मार के लइकी के तू लइका कहाँ ले जई ब।
अंजोरिया से साभार

2.10.08

मन उदास कांहे बा

-मंतोष सिंह
मन उदास कांहे बा
दिल में प्यास कांहे बा
हमरो के बता देंती
गम के तनीक एहसास देंती

दूर कांहे जात बानी
याद कांहे खात बानी
हमरो के बता देंती
भूख के तनी एहसास देंती

जख्म के रवानी बा
अपनो प्यार में पानी
हमरो के बता देंती
प्यार के तनी एहसास देंती

ना टुटटी प्रीत के डोर
ना रूठी सावन से मोर
हमरो के बता देंती
दुख के तनी एहसास देंती

30.9.08

आ गइल 'महतारी'

अपनी लोगन के बिछड़ला के केतना दुख होला सबके पता बा। दुख वो समय अउरी बढ़ जाला, जब अपनी 'महतारी' के लोग भुला जाला, अपनी भाषा के बिसरा देला, सांस्कृति से दूर हो जाला, अपनी माटी के महक से अंजान हो जाला। अपनी देश में भी करोड़ों लोग एइसन बाड़ें जे ये तरह के गलती करत बाडऩ। कहे के मतलब बा कि सात समंदर पार रही के भी जनम धरती और भाषा के नाहीं भुलाए के चाहीं। काहें कि इहे आपन जीवन ह, महतारी है। एही लोगन के सजग करे के खातिर हम 'महतारी' ब्लाग लेके आइल बानी। 'महतारी' मतलब अपनी भाषा में आपन बात। 'महतारी' में भोजपुरी से जुड़ल सब जानकारी देवे के कोशिश कइले बानी। उम्मीद बा कि अउरा सभे के 'महतारी' पसंद आई। सुझाव के इंतजार रही।
mantosh11@gmail.com

पहिला रचना पेश बा-------

कइसे रहबअ, तोर बिन संघतिया
मंतोष सिंह

जात रहनी बहरा, रुआंसु भइल अंखिया
कइसे रहबअ, तोर बिन संघतिया।।
माई छुटली, बाप अउरी घरवा दुअरिया
जिनगी अंहार भइल, गइल अंजोरिया
जिया में डसेला, परदेस वाली रतिया
कइसे रहबअ, तोर बिन संघतिया।।
गंउवा के खेतवा में, बइठे ना कोयलिया
सरसो ना जौ, गेंहू, लौउके ना बलिया
चारू ओर पसरल बा, दिन में अंहरिया
कइसे रहबअ, तोर बिन संघतिया।।
शादी-बियाह में लौउके नाहीं डोली
छठ, जिऊतिया, तीज होखे नाहीं होली
फुरसत ना बा इंहा, बाटे ना बटोहिया
कइसे रहबअ, तोर बिन संघतिया।।
मन नाहीं लागताअ, लिखतानी पतिया
हमके भेजा दअ यार, गंवई से गडिय़ा
अब ना सहाताअ, परदेस में दरदिया
कइसे रहबअ, तोर बिन संघतिया।।