-मंतोष सिंह
मन उदास कांहे बा
दिल में प्यास कांहे बा
हमरो के बता देंती
गम के तनीक एहसास देंती
दूर कांहे जात बानी
याद कांहे खात बानी
हमरो के बता देंती
भूख के तनी एहसास देंती
जख्म के रवानी बा
अपनो प्यार में पानी
हमरो के बता देंती
प्यार के तनी एहसास देंती
ना टुटटी प्रीत के डोर
ना रूठी सावन से मोर
हमरो के बता देंती
दुख के तनी एहसास देंती
2.10.08
मन उदास कांहे बा
लेबल मन उदास कांहे बा
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3 Comments:
ना टुटटी प्रीत के डोर
ना रूठी सावन से मोर
हमरो के बता देंती
दुख के तनी एहसास देंती
kitne meethe shabad hai...
badhaaee
एक अच्छी कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद
गजल की क्लास चल रही है आप भी शिरकत कीजिये www.subeerin.blogspot.com
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