अंधेरे में हमने, जीवन गुजारा
उजाले से कैसे, दोस्ती करूंगा
बचपन कटा है, घरौंदों में जिसका
महलों की महफिल, कैसे सजेगी
अंधेरे में -----------------
दिल में न था, गम का किनार
मोहब्बत के दीये, कैसे जलेंगे
अंधेरे में -----------------
उन्हें क्या पता, क्यों हम हैं खफा
मनाते जो हमको, कैसे मनाते
अंधेरे में -----------------
रहने दो हमको, खुशियों के घर में
गांवों की गलियां, कैसे सजेगी
अंधेरे में हमने, जीवन गुजारा
उजाले से कैसे, दोस्ती करूंगा
- मंतोष सिंह
2 Comments:
रहने दो हमको, खुशियों के घर में
गांवों की गलियां, कैसे सजेगी
अंधेरे में हमने, जीवन गुजारा
उजाले से कैसे, दोस्ती करूंगा
bahut khub
बहुत बहुत बधाईयां । अच्छा लगा पढ़के
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