31.10.08

चिट्ठियां

चिट्ठियां आतीं थीं
रोज
जिन्हें सहेजता था
तकिये के नीचे
और बार-बार पढ़ता था
जवाब के साथ
चिट्ठियों के साथ
मैं था
और
मेरा अस्तित्व,
मेरी भावनाएं
आज भी
मेरे साथ हैं
सिर्फ चिट्ठियां
  • मंतोष सिंह

30.10.08

छठ पर्व पर वेबसाइट


जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने देश के पूर्वांचल और खासतौर पर बिहार में श्रद्धापूर्वक मनाए जाने वाले त्योहार छठ पर गुरुवार को एक वेबसाइट का शुभारंभ किया। शरद यादव ने नई दिल्ली स्थिति पार्टी मुख्यालय में साफ्टवेयर कंपनी इनोडे द्वारा तैयार वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट छठपूजा डाट काम पर माउस क्लिक कर इस वेबसाइट का शुभारंभ किया। इस वेबसाइट पर छठ पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। आप भी इसका अवलोकन करें।

27.10.08

श्रद्धा के दीप


मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

शांति से सुख मिली सबके
रीति से प्रीत पागल हो जाई।
मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

आस-प्यास के करीं चाकरी
पूजा-पाठ के कायल हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

याद से दिल के राज बताईं
रंग-रूप के पायल हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

मेल-भाव से प्यार जगाई
चारू ओर उजाला हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।
  • मंतोष सिंह

25.10.08

एह से बेहतर ना हो सकेला राज ठाकरे के इलाज

वइसे त ई समय शायद केहू के सलाह देवे खातिर उचित नइखे, पर रउआ कबो सोचे के प्रयास करीं त बुझाई कि ई का कर रहल बानी जा हमनी का? अपना घर में आग लगा के, अपना बिहार के नुकसान पहुंचा के आखिर केकरा से बदला लेवे के प्रयास कर तानी जा हमनी का? दुश्मनो देखत होई त कहत होई कि एकरा से बड बेवकुफी ना हो सकेला। बहुत गुस्सा आव ता नूं...? कहाँ रहुए इ गुस्सा जब मुंबई में मुठ्ठी भर लोग जानवर लेखां पीटत रहे? तब ओहिजा केहू काहे ना एको गो ढेला उठावे के साहस करुए...? भाग के वापस अइला का जगह अगर रउआ ओहिजे ठहर गइल रहिती त शायद मामला ओह दिने खतम हो गईल रहित. पिछला बार बीस हजार से ज्यादा लोग महाराष्ट्र से भाग के बिहार आ उत्तर प्रदेश वापस आईल रहे... अगर एह में से आधा लोग (दस हजार) भी ओहिजा रुक के जबाब देवे के साहस कइले रहित, त महाराष्ट्र सरकार आ राज ठाकरे के का औकात बा... केन्द्र के मनमोहन सिंह सरकार ओह दिने हिल गईल रहित. राज ठाकरे के आजु तक गुजराती समाज के खिलाफ बोले के साहस काहें ना भईल? आग लाग जाई ओही दिन पूरा महाराष्ट्र में... ऊ हमनी के कमजोरी जान ता, ओही से हमनिए पे वार कर ता. आ जानो भी कइसे ना, ओकरा पीछे जवन वकीलन के फौज खडा बाटे, ओकर नेतृत्व भी एगो हमनिये के जौनपूर के वकील क रहल बाडे - अखिलेश चौबे. आ एतना कुछ भईला का बादो वकील साहब पूरा बेशर्मी से मीडिया में कह तारे कि राज ठाकरे को उत्तर भारतीय लोग गलत समझ रहे हैं. अरे, गलत त हमनी का तोहरा के समझ तानी जा, काहें कि दुश्मन के साथ देवे वाला भी दुश्मने होला... का हमनी के समाज में एतना भी साहस नइखे कि ई वकील साहब के अपना समाज से बहिष्कृत कइल जाव? जब ले एह तरह के विभिषण राज ठाकरे का संगे बाडे, का ऊ हमनी पर वार करे के कवनो मौका हाथ से जाए दी? शांत हो जाईं रउआ सभे, ई वक्त अपना के नुकसान पहुंचवला के ना, बल्कि विचार करे के बा? एगो ठोस रणनीति बनावे के बा, का चाणक्य के धरती से पैदा होखे वालन के रणनीति कबो फेल हो सकेला? का विश्वविजेता सम्राट अशोक, आ बाबू कुंवर सिंह के धरती केहू से हार मान जाई? जवन अहिंसा के पाठ महात्मा गाँधी हमनी के धरती प (चम्पारण) आके सीखले, का हमनी का ओकरा के भूला जायेब जा? कबो ना... बदला लेवे के तरीका भी बहुत आसान बाटे. आज काल्ह जमशेदपुर में राज ठाकरे के खिलाफ दूगो मामला दर्ज बाटे, जवना में उनका खिलाफ वारंट भी जारी हो चुकल बा, आ लाख कोशिस कइला का बादो आजु ले उनुका के अभी ले जमानत नइखे मिलल. आज हम अपील करब कि हर घर से, हर गाँव से, हर शहर से राज ठाकरे के खिलाफ मामला दर्ज करावल जाव... कवनो हमनी पर हमला खातिर..., त कवनो हमनी के धार्मिक भावना के ठेस पहुँचावे खातिर... त कवनो ओह छात्र के हत्या खातिर... त कवनो देशद्रोह खातिर... हजारन के संख्या में मामला दर्ज होखे, तब ऊ पूरा जिनगी ओही में परेशान रहि जाई. आ एक बेर बिहार पुलिस राज ठाकरे का हाथ में हथकडी लगा के खाली बिहार त ले आवे, फेर सारा दुनिया देखी चाणक्य के वंशजन के बदला...

24.10.08

युद्धपोत अमेरिकी, लेकिन संगीत भोजपुरी!

करीब सात एकड़ का विशाल अमेरिकी परमाणु पोत ‘यूएसएस रोनाल्ड रीगन’ अरब सागर में रात के घुप्प सन्नाटे में मंथर गति से चल रहा है और उसके ‘फ्लाईडैक’ से मीठी भोजपुरी गीत की तान उठ रही है।दुनिया के इस सबसे विशाल विमानवाही पोत पर तैनात करीब 60 लड़ाकू विमानों के बीच यह भोजपुरी गीत कौन गुनगुना रहा है?....पोत पर करीब साढ़े चार हजार अमेरिकी तैनात हैं और रात के भोजन का दौर समाप्त होने के बाद वे सोने की तैयारी कर रहे हैं। दिनभर तकरीबन 12 घंटे की 75 उड़ानों के शोर के बाद अब माहौल शांत हो चला है। ऐसे में वह कौन हो सकता है जो भारत की इस मीठी जुबान में तराने छेड़ रहा है।चार-पांच अमेरिकी नौसैनिक गौतम कुमार मोरोतिया के आसपास जमा हैं और बड़े चाव से वह गीत सुन रहे हैं। उन्हें भोजपुरी का एक शब्द भी नहीं आता, लेकिन जुबान और मोरोतिया के सुर की मिठास मंत्रमुग्ध करने वाली है।मोरोतिया भारतीय नहीं हैं। वे मॉरीशस में पैदा हुए हैं और 13 साल पहले अमेरिका चले गए थे। आठ साल पहले वे अमेरिकी नौसेना में शामिल हो गए। उस समय ‘यूएसएस रोनाल्ड रीगन’ बेड़े में शामिल में भी नहीं हुआ था और निर्माण के दौर से गुजर रहा था।
‘निमित्ज क्लास’ का यह नौवां जंगी पोत भारत और अमेरिका के संयुक्त नौसैनिक अभ्यास “मालाबार” के तहत अरब सागर में आया हुआ था और मोरोतिया महीनों से इस अभ्यास की बाट जोह रहे थे। आठ दिनों का यह अभ्यास आज सम्पन्न हो गया है। इस विमानवाही पोत पर जब भारतीय पत्रकारों के दल के आने का मोरोतिया को पता चला, तो वे इस बीस मंजिला पोत की 14 मंजिल पर हांफते-हांफते पहुंच गए।“मैं मोरोतिया हूं और आपके आने की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा था, उसने ठेठ हिंदी में कहा”।उनकी आंखों में आत्मीयता और उल्लास का सागर उमड़ रहा था। उन्होंने रहस्योदघाटन की मुद्रा में कहा, “चार पुश्तें पहले हमारे परिवार के लोग मॉरीशस आ गए थे। हम कोलकाता के रहने वाले थे। मैं मॉरीशस में ही पैदा हुआ और परिवार की भोजपुरी जुबान को मैंने कभी नहीं भूलने दिया”।मोरोतिया अमेरिकी नौसेना को अपनी सेवाएं देकर अभिभूत महसूस करते हैं।वे मैकेनिक हैं और भारत, मॉरीशस, अमेरिका और भोजपुरी के तार आपस में जोड़ने का उन्हें बेहद गर्व है। मोरोतिया ने बताया कि रात को फ्लाईडैक पर आकर जब वे भोजपुरी गीत गुनगुनाते हैं, तो दिनभर की थकावट उतर जाती है।
मोरोतिया ने बताया कि उनके बीच एक और भारतीय है, महेश शाह। फिर वह शाह को भी ढूंढकर ले आते हैं।महेश शाह इस अमेरिकी पोत से उड़ान भरने वाले ‘सुपर हॉर्नेट’ लड़ाकू विमानों की आंख-कान की तरह हैं। वे फ्लाई डैक पर उतरने वाले विमान को रास्ता बताते हैं और इंगित करते हैं कि पायलट को किस कोण से विमान उतारना है।शाह और मोरोतिया ‘यूएसएस रोनाल्ड रीगन’ की विशालता और उसकी खूबियों को कंठस्थ किए हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस जंगी पोत का रोज का खर्च दस लाख डॉलर (करीब पांच सौ लाख रूपए) है।यहां ढाई सौ गैलन दूध की रोज खपत होती है और 1200 अंडे यहां के नाविक प्रतिदिन हजम कर जाते हैं।

21.10.08

खड़ी दुपहरिया में बहार हो जाला

खड़ी दुपहरिया में बहार हो जाला॥
आवे जे संदेशा दिल जवान हो जाला..
जब से बलम जी परदेश गईले॥
हमरे जियरवा के सुधि नाही लिहले॥
एही बेरुखी से मनवा लाल हो जाला..
आवे जे संदेशा .......
अँखियों ही अँखियों में कटे सारी रतिया॥
दिनवा में चीर जाला सासु के बतिया॥
अईसे ताना मारे देहियाँ काठ हो जाला॥
आवे जे संदेशा .......
आज काल करत करत महीनो बीतेला॥
आवेले त रतिया उनके अँखियाँ कटेला॥
रुसले मनावे के मौको ना मिलेला॥
आवे जे संदेशा .......
सखियन से सीख लेके रहता बनवलीं॥
सासुजी से चोरी छिपे मोबाइल लेअवलि।
करीले मोबाइल त मिस कॉल हो जाला॥
आवे जे संदेशा .......
खड़ी दुपहरिया में बहार हो जाला॥
आवे जे संदेशा दिल जवान हो जाला॥
अभय त्रिपाठी
अंजोरिया से साभार

19.10.08

अपने मूल से भटक रहीं भोजपुरी फिल्में

भोजपुरी फिल्मों में बालीवुड की चर्चित फिल्मों के नाम और उनकी विषय वस्तु की नकल का बढ़ता प्रचलन फिल्म निर्माताओं और दर्शक दोनों को ही रास नहीं आ रहा। इसका सबसे कारण है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के बाहर के फिल्म निर्माता हिंदी की चर्चित फिल्मों के नाम व उसकी विषय वस्तु की नकल कर इन फिल्मों को फिर से भोजपुरी में पेश कर देते हैं। फिल्म निर्माता महसूस करते हैं कि स्टार चुनने की प्रणाली भी इसके लिए दोषी है। भोजपुरी फिल्मों में पहले सितारों का चयन होता है और उसके बाद कहानी लिखी जाती है।
फिल्म निर्माता अभय सिन्हा की हालिया प्रदर्शित 'बाहुबली' के साथ दो हिंदी फिल्में 'किडनैप' और 'द्रोण' भी प्रदर्शित हुईं। सिन्हा का दावा है कि उनकी फिल्म ने उत्तर प्रदेश और बिहार में बालीवुड की इन दोनों फिल्मों से बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि देश भर में फैले भोजपुरी सिनेमा के दर्शक उन्हीं फिल्मों को पसंद करते हैं जो बिहार और उत्तर प्रदेश की ग्रामीण परंपरा से जुड़ी होती हैं। उन्होंने कहा कि भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता और हिंदी फिल्मों की नकल परोसने की कोशिशें फ्लाप साबित हुई।
एक अन्य फिल्म निर्माता सुनील बुबना भी महसूस करते हैं कि भोजपुरी फिल्म बनाने वाले अपने लक्ष्य से भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिनेमा के दर्शक ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जो जमीन से जुड़ी महसूस हों। उनका कहना है कि फिल्म की लागत वसूलने के लिए जरूरी है कि भोजपुरी फिल्म सिनेमा हाल में कम से कम तीन से चार सप्ताह तक चले।
भोजपुरी फिल्मों के दर्शकों के लिए निरहुआ की फिल्म 'दीवाना' के अलावा 'भोजपुरिया डान' और मनोज तिवारी की 'हम हई खलनायक' जल्द प्रदर्शन के लिए तैयार हैं।

18.10.08

जनता अपना के ना जाने

  • जयन्ती पाण्डेय
एक दिन बाबा लस्टमानंद से रामचेला पूछले कि हो भाई, ई जनता का कहाला? साँचो बड़ा टेढ़ सवाल रहे. हार मान जाय त लस्टमानंद कइसे? थोड़की देर विचार के कहले कि जनता ओकरा के कहल जाला जेकरा वोट देहला से सरकार बनेले, विधायक आ सांसद होला लोग, प्रधानमंत्री आ मुख्यमंत्री चुनाला लोग. संक्षेप में कि ग्राम प्रधान से देस प्रधान ले के चुनाव जेकरा अंगुरी के इसारा से होला उहे जनता हऽ. कबहुं कबहुं मंच पर बइठल लोग भ्रम से जनता के जनार्दन कहि देला. अइसनका गलती कइ बेर हो जाला. लेकिन जनता के काम खाली वोट दिहल हऽ. एह धरा धाम पर ओकर जनम खाली एही खातिर होला. जइसे गंगा के ई धराधाम पर अवतरण पापी लोग के पाप धोवे खातिर भईल आ पापी लोगन के पाप धोवत धोवत ऊ खुदे गंदा हो गइल ओसहीं जनता नाम के ई जीवधारी प्राणी वोट देत देत निराश हो गइल बा. जनता अबहुंओ ओसहीँ बा जइसे सन सैंतालिस के पहिले रहे. ना जाने ई साठ बरिस कईसे पांख लगा के उड़ गइल. लोग कहेला कि ई तरक्की बा, ऊ तरक्की भईल बा, लेकिन जनता के हाल कहाँ सुधरल बा? वोट देहला के बाद जनता अपना काम में लाग जाले. रोटी कपड़ा आ मकान से छुट्टी मिलल त बाल बच्चा के पढ़ाई लिखाई आ ओह से संवास मिलल त दवा आ सबसे छूटल त दारू! ई सब से बेचारा के फुरसत कब मिलेला. जनता के लगे जे वोट मांगे जाला ओकरा लगे का ना होला, जईसे झूठ वादा, आश्वासन, फरेब, लठैत, गुण्डा, जाति, धर्म, विकास के सपना, अगिला पांच बरिस में चौबीसो घण्टा बिजली सब कुछ. कहीं त जनता फँसी.
जब चुनाव हो जाला तब जनता के हाथे चुनल प्रतिनिधि लोग से जनता के संवाद आ विवाद के चांस कमे मिलेला. संवाद से प्रतिनिधि बांचेला आ विवाद से जनता. संवाद आ विवाद से बांचे के एगो आऊर कारण होला कि जनता राजधानी में ना फटक सके आ प्रतिनिधिगण चुनाव क्षेत्र में ना आवेला लोग. नेता लोग के लगे वइसे राजधानी में बहुत काम होला, सरकार बनावे से गिरावे तक ले. क्रिकेट से जियादा दिलचस्प गेम हर साल राजधानी में होला. एकरा से अलहदा कुछ अइसनो होला जे चाह के भी चुनाव क्षेत्र में ना जुटावल जा सके ई सब आकर्षण से मुक्त भइल असंभव नइखे त कठिन त बहुत बा. एह में नेता लोग के का दोष बा? हम त एह में उहन लोगन के दोष नाम मान सकिले. अरे जिनगी के जीये के सबके अलग अलग तरीका हऽ. जले भाग में बा तले मजा ले लेवे में का दिक्कत बा? एतना के बावजूद नेता लोग साल में एक दू बार त चुनाव क्षेत्र में आव के दया जरूर कऽ देला लोग. कवनो बिपत परल, बाढ़ आइल, उद्घाटन शिलान्यास भईल त जाहीं के परेला. जाये के पहिला सूचना मीडिया के मिलेला, दोसरका सरकारी सूचना अधिकारी लोग के आ अन्तम सूचन पूज्य चमचन के. जनता के केहू ना पूछे. ई चमचा तय करेला लोग कि नेताजी कवना पुल के उद्घअटन भा कवना स्कूल के नेंव डलिहें आ उहाँ से कहाँ अइहें जहाँ जनता नामक जीवधारी के जमात जुटावल जाई आ संगे जुटावल जाई तीन गो मकार, मंच, माईक आ माला. ओकरा बाद भाषण, आश्वासन.
जब नेता बड़हन हो जाला, यानि कि जनता खातिर दुर्लभ हो जाला त नेता जी अपना भाई भा बेटा के चुनाव क्षेत्र में भेज देला। बड़ गाड़ी में आकर्षक चमचन के बीच ऊ दू दिन में पूरे चुनाव क्षेत्र के दौरा कऽ के राजधानी लौट जाला. जनता के कहीं कवनो भूमिका ना रहेला. जनता आपन मुंह सीसा में निहारऽत रहेला कि ऊ असल में का हऽ आ का उजे ई नेताजी के चुनले रहे?

16.10.08

सेंसेक्स के पीछे छोड़ली हेमा मालिनी



आजुओ हेमा मालिनी के जलवा बरकरार बा। ऐकर नजारा १६ तारीख के देखे के मिलल। इंटरनेटवा पर खाली हेमा मालिनी ही छाईल रहली। ऐही दिन उनकर जनमदिन भी रहल। इंटरनेटवा पर सबसे जयादा उनकरा के लोग खोजलन। सर्च इंजन गूगल के कहल बा कि टाप दस में उनकर स्थान सबसे ऊपर रहे। उनकरी बाद सेंसेक्स के स्थान रहे।

चलनी के चालल दुल्हा

बिहार के एगो पारम्परिक गीत ह "चलनी के चालल दुलहा सुप के पछोरल हे..... माने अईसन दुल्हा जेकरा में कउनो दोष, कउनो अवगुन नईखे। एही पारम्परिक गीत के शुरुआती लाइन "चलनी के चालल दुल्हा" के अपना फिलिम के शीर्षक बनाके साई इन्टरटेनमेन्ट आ निरहुआ इन्टरटेनमेन्ट एगो दमदार कहनी के जरिये भोजपुरी फिलिम जगत में धमाका करे के तइयारी में बा। जेकर निर्देशक अजय सिन्हा बाड़न।
एह फिलिम के कहानी जवना हिसाब से दिनेश लाल यादव हमरा के सुनउलन ओकरा आधार पर हम कह सकऽतानी कि ई फिलिम परिवार के साथे देखला में मजा आई। दिनेश लाल इहो बतउलन कि एह फिलिम से भोजपुरी फिलिम जगत में दुगो नवका कलाकारन प्रवेश लाल यादव आ शुभा शर्मा के दाखिला हो रहल बा।
अबहीं फिलिम के शूटिंग पंचगनी में भइल ह बाकिर एक दु दिन में पुरा युनिट शूटिंग ला आजमगढ़ जाई। अपना रोल से खुश प्रवेश लाल यादव के कहनाम बा कि एगो अभिनेता के रुप में ई हमार पहिलका फिलिम ह आ हम बहुते भागशाली बानी कि हमरा पहिलके फिलिम में कलरफुल रोल मिलल बा।
साई इन्टरटेनमेन्ट आ निरहुआ इन्टरटेनमेन्ट के बइनर में बनि रहल एह फिलिम के निरमाता अजय सिन्हा आ दिनेश लाल यादव बाड़न। फिलिम के कहानी आ पटकथा लीला सिन्हा के संवाद अजय सिन्हा आ निलय उपाध्याय के लिखल ह। कलाकारन में अभिनेता प्रवेश लाल यादव आ अभिनेत्री शुभा शर्मा के अलावे मनोज टाईगर, संतोष श्रीवास्तव, विदिशा बनर्जी, मानवेन्द्र आ अजय सिन्हा बाड़न। फिलिम में सुपरस्टार दिनेश लाल यादव "निरहुआ" आ अभिनेत्री पाखी के भी मउजुदगी बा। "चलनी के चालल दुल्हा" के गीतकार प्रवेश लाल यादव, श्याम देहाती आ अशोक सिन्हा, स्टंट निर्देशक आर।पी. यादव, कला निर्देशक शम्मी तिवारी, डांस निर्देशक कानू मुकर्जी, कैमरामैन मनीष के व्यास आ प्रचारक अशोक भाटिया बाड़न।

भोजपुरी संसार से साभार

11.10.08

महलों की महफिल, कैसे सजेगी

अंधेरे में हमने, जीवन गुजारा
उजाले से कैसे, दोस्ती करूंगा
बचपन कटा है, घरौंदों में जिसका
महलों की महफिल, कैसे सजेगी
अंधेरे में -----------------
दिल में न था, गम का किनार
मोहब्बत के दीये, कैसे जलेंगे
अंधेरे में -----------------
उन्हें क्या पता, क्यों हम हैं खफा
मनाते जो हमको, कैसे मनाते
अंधेरे में -----------------
रहने दो हमको, खुशियों के घर में
गांवों की गलियां, कैसे सजेगी
अंधेरे में हमने, जीवन गुजारा
उजाले से कैसे, दोस्ती करूंगा

  • मंतोष सिंह

9.10.08

झूठमूठ काहे ललचाई

डा॰ अशोक द्विवेदी
झूठमूठ काहे ललचाई
जवन जुरी-आँटी
ऊ खाई!
रार बेसाहे खातिर होता
ऊँच-नीच के बात
दूभर होत जात बा दिन अब
खदकावत बा रात.
भारी लउके सब, सबका पर,
सेर सभे
आ सभे सवाई!
नवहन के, ना बाग अड़ाला -
गलते सही बुझाव.
छोट छोट बतियो में होखे
रोजे कुकुरबझाव.
के टोकी, आ के समझाई ?
के आपन मूड़ी कुँचवाई!
मानत बानीं, सबुर करे के
गइल जमाना पाछे.
बाकिर नट्टिन राजनीति
माया फइला के नाचे.
लट्टू हो के हाव-भाव पर
इहाँ-उहाँ अब
के छिछियाई !
कान ना दिहलस अपने जामल
बेटा भल अमान.
मिठबोलियन का दाँव-पेंच से
बा अबहीं अनजान.
कहलीं ओसे, कई बेर हम
तृष्ना में
ई जनवो जाई!
अंदेसा में ऊँच-नीच के
जिउवा बहुत डेराय.
घर से निकलल भइल कठिन
अब, काँटे रोज रुन्हाय.
राह‍घाट में, बात बात में
कहवाँ कहवाँ
का फरियाई!
जवन जुरी आँटी
ऊ खाई!!
अंजोरिया से साभार

6.10.08

वारिस खातिर लइका चाहीं

  • अभय त्रिपाठी
वारिस खातिर लइका चाहीं मचल बा हाहाकार।
कोखी से ही लइकी साथे हो रहल बा भेदाचार।
हो रहल बा भेदाचार कि सुन लीं लइकन के करनी।
एगुड़े कोठरी में पेटवा काट के चार चार के पलनी।
कहे अभय कविराय कि अब आईल बा जमाना।
चार चार कोठरी के किला में भी ना माँ बाप के ठिकाना।
बोई ब पेड़ बबूल के त आम कान्हा से पई ब।
मार के लइकी के तू लइका कहाँ ले जई ब।
अंजोरिया से साभार

2.10.08

मन उदास कांहे बा

-मंतोष सिंह
मन उदास कांहे बा
दिल में प्यास कांहे बा
हमरो के बता देंती
गम के तनीक एहसास देंती

दूर कांहे जात बानी
याद कांहे खात बानी
हमरो के बता देंती
भूख के तनी एहसास देंती

जख्म के रवानी बा
अपनो प्यार में पानी
हमरो के बता देंती
प्यार के तनी एहसास देंती

ना टुटटी प्रीत के डोर
ना रूठी सावन से मोर
हमरो के बता देंती
दुख के तनी एहसास देंती