10.11.08

पंडितजी का छोकरा एमबीए हो गया

-सूर्यकुमार पांडेय

पंडिज्जाी का छोकरा लल्लन एमबीए हो गया। फैमिली में खुशी का माहौल था। पंडिताइन ने कहा, ''ए जी, आज बरसों की मुराद पूरी हुई। गांव चलकर कथा कहलवा दी जाए। इसी बहाने अपना बच्चा बाप-दादों का गांव-घर भी देख लेगा। मैंने जो मन्नत मांग रखी है, वह भी पूरी हो जाएगी।''

पंडिज्जाी को पंडिताइन का सुझाव बेहद पसंद आया। पंद्रह दिन बाद ही वे बेटा-पत्नी समेत गांव में थे।

उनके आने की खबर पाकर गांव के कई एक लोग मिलने आए। इन्हीं में से एक तिलेसर भी थे।

पंडिज्जाी ने अपने एमबीए पुत्र लल्लन को बताया, ''ये तिलेसर भाई है। ये विलेज के रिश्ते से तुम्हारे अंकल लगते है। जानते हो नेक्स्ट मंथ इनकी डॉटर की मैरिज है!''

मैरिज का नाम सुनते ही लल्लन चहक

उठा। उसे लगा, आज ही वह राइट टाइम है, जब वह अपनी स्टडीज को प्रॉपर प्लेस पर अप्लाई कर सकता है। मैनेजमेंट साइंस को गांव में पहुंचाने का इससे सुंदर अवसर भला और क्या हो सकता था? हॉउ इट विल बी एक्साइटिंग इन विलेज कांटेक्स्ट! ऐसा सोचने मात्र से एमबीए के खुरों वाला वह हिरन कुलांचे भरने लग गया।

अब लल्लन ने तिलेसर की बेटी की इस गंवई शादी को न्यू लुक देने का प्लान किया।

लल्लन तिलेसर से बोला, ''अंकल, डोंट वरी। मैंने इवेंट मैनेजमेंट पढ़ा है। मैं आपकी डॉटर की मैरिज ऐसी मैनेज करूंगा कि होल विलेज देखता रह जाएगा।''

भकुआए तिलेसर ने पूछा, ''यह इवेंट मैनेजमेंट क्या होता है, बचुआ?''

''इवेंट मैनेजमेंट मींस इवेंट मैनेजमेंट!'' लल्लन ने अपनी उंगलियों को तिलेसर के सामने नचाते हुए कहा।

हालांकि तिलेसर के पल्ले कुछ भी नहीं पड़ा, फिर भी उन्होंने उत्सुकतावश पूछ लिया, ''इसमें होता क्या है?''

''एक इवेंट में सो मेनी थिंग्स मैनेज करने की होती है,'' लल्लन ने समझाते हुआ, ''जैसे आपके यहां मैरिज है, तो यह एक इवेंट है। इसमें टाइम मैनेजमेंट, मैनपॉवर मैनेजमेंट, वेहिकिल मैनेजमेंट, लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट वगैरह, ये सारे ऑस्पेक्ट्स अप्लाई करने होंगे। और यह सब मैं करूंगा। अब आप यह समझिए कि मैं आपका इवेंट मैनेजर हूं। देयरफोर, आपको कुछ नहीं करना है। ओनली फाइनेंसियल मैनेजमेंट का डिपार्टमेंट देखना होगा।''

जब पंडिज्जाी को यह लगने लगा कि लल्लन की बातें तिलेसर की खोपड़ी के ऊपर से निकल रही है, तो उन्होंने बीच में फांद कर देसी लहजे में समझाया, ''तिलेसर भाई, यह अपना लल्लन बहुत ही होनहार बच्चा है। एमबीए करके आया है। बस इतना जान लो कि एमबीए बीए से बहुत बड़ा होता है। जो एमबीए हो जाता है, वह बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करता है। मोटी तनख्वाहे मिलती है। यह तुम्हे बता रहा है कि तुम्हारी बिटिया की शादी का सारा इंतजाम यह अकेले दम पर संभाल लेगा। जरूरत पड़ी तो शहर से अपने आदमी ले आएगा। तुमको केवल पैसों का इंतजाम करना होगा।''

''कितने पैसों का?'' तिलेसर ने जानना चाहा।

''यही अराउंड फोर टू फाइव लैक्स।'' लल्लन ने कहा।

अचानक बगल में खड़ा गांव का कल्लन नाम का एक बीए पास लड़का हस्तक्षेप करता हुआ बोला, ''भाई साहब, तिलेसर काका की हैसियत तो चार पांच हजार की भी नहीं है। ये आगे से पीछे तक कर्ज में डूबे हुए है। अच्छा, मान लीजिए कि ये इतने पैसे अरेज कर भी लें, तो इस मैनेजमेंट विधि से क्या कुछ नया होगा।''

लल्लन- ''देन लिसेन, टाइम मैनेजमेंट में हम मैरिज की मिनट-टू-मिनट प्लानिंग करेगे। ह्वाट टाइम द्वारपूजा होगी। ह्वाट टाइम जयमाल होगा और ह्वाट टाइम मैरिज होगी? सब कुछ टोटली प्लांड होगा।''

कल्लन- ''भैया, इतने टेशन की क्या जरूरत है? सिर्फ सवा रुपए दक्षिणा देनी होगी। शादी के टाइम वगैरह की प्लानिंग तो अपने पुरोहित जी पंचांग देखकर कर देंगे। यहां गांव में सदियों से यही टाइम मैनेजमेंट चलता है।''

लल्लन - ''ठीक है। कुछेक ट्रेडीशनल चीजें होती है। हम उनसे एडजेस्ट कर लेंगे। मगर सारा काम टाइम से होना चाहिए। इसके लिए गाड़ियां अरेज करनी ही होंगी। आई मीन वेहिकिल मैनेजमेंट। इसमें हम बारातियों के ट्रांसपोर्टेशन की खातिर कार्स, बसेज, टैक्सीज वगैरह अरेज करेगे। ड्राइवर्स को प्रॉपर इंस्ट्रक्शन और ट्रेनिंग देंगे।''

कल्लन- ''भाई साहब, तिलेसर काका की हैसियत तो आप देख ही रहे है। ये इतने तामझाम नहीं झेल पाएंगे। लड़के वालों के गांव में दो ट्रैक्टर, चार मोटर साइकिलें, आठ छकड़े और सोलह बैलगाड़ियां है। घर-घर में ड्राइवर है। सारे बाराती लद लदाकर खुद-ब-खुद आ जाएंगे। हमें तो आपके इस वेहिकिल मैंनेजमेंट वाले फंडे की भी कोई जरूरत नहीं लगती।''

लल्लन- ''चलो, कोई गल नहीं। लेकिन मैरिज को ग्रेसफुल बनाना है तो डांस, एंटरटेनमेंट, इन्विटेशन, पब्लिसिटी की नेसेसिटी तो होगी ही।''

कल्लन- ''वह सब भी मद्दे में निपट सकता है। टीवी-वीसीडी पास के कस्बे से आ जाएंगे। नाच-गाने वालों की एक मंडली भी बगल के गांव में है। रात भर आनंद रहेगा। निमंत्रण-पत्र न भी छपवाएं तो क्या फर्क पड़ता है? गांव में हज्जाम के हाथों से हल्दी भिजवाकर भी काम चल सकता है। जहां तक दूर के नातेदारों-रिश्तेदारों को बुलाने की बात है तो उनको पोस्टकार्ड लिखकर सूचना दे दी जाएगी। भाई मेरे इन गांवों में अब भी इतना भाईचारा तो बचा ही है कि सारा प्रचार जुबानी हो सकता है। इतनी सी बात की खातिर मैनेजमेंट साइंस जैसी महान विद्या को बीच में लाने की भला जरूरत ही क्या है? लिमिटेड और लोकल रिसोर्सेज से मैक्सिमम आउटपुट लेने की कला गांव वालों को भी आती है। शादी का सामान, सिन्होरा, डाल, पटवे के यहां मिलते है। मंडप गांव के बांस से तैयार हो जाता है। अब तो नजदीक के कस्बे में कैटरर्स की दुकान भी खुल गई है। सब कुछ सस्ते में मैनेज हो जाता है।'' कल्लन के इस क्विक रेस्पांस से लल्लन खीज उठा था।

वह अपने पूज्य पिताश्री से बोला, ''डैड, ये पुआर ऑर्थोडेक्स विलेजर्स, इनका अपलिफ्टमेंट कतई नहीं हो सकता। इनका टोटल मैनेजमेंट सिस्टम ओल्ड मॉडल का है। हाउ बोरिंग दीज आर! आई कांट स्टे हियर मोर।'' पंडिज्जाी भी और क्या कहते। बोले, ''बेटा, आज शाम पूजा वाला काम हो जाए, तो हम लोग अर्ली मार्निग शहर के लिए निकल लेंगे। तुम्हारा फिलहाल किसी अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में प्लेसमेंट हो जाए, इसी पर ध्यान दो।''

''डैड, अपना इंडिया बदल गया। बट अभी इन विलेजर्स को चेंज होने में कितने इयर्स लगेंगे? इनको तो टाई भी थमा दो तो ये उसे सिर पर गमछे की तरह लपेट लेंगे। डैड, अगर मैं यहां एक-दो दिन और रुक गया तो खुद मिसमैनेज हो जाऊंगा।''

पंडिज्जाी क्या बोलते? वे चुपचाप गांव से वापसी के मैनेजमेंट में जुट गए। शायद शहर में लल्लन की जॉब के लिए किसी कंपनी से कॉल आ रही होगी।

लेखक का पता-
538 क/514, त्रिवेणीनगर द्वितीय, लखनऊ
जागरण से साभार

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