6.11.08

भोजपुरी फिल्म उद्योग को अब बिहार का भरोसा

भारत के अलावा फिजी, मलेशिया, सूरीनाम, गुआना, मोजाम्बिक, इंडोनेशिया और मारीशस में पांच करोड़ लोगों के बीच बोले जाने वाली भोजपुरी भाषा के पांच सौ करोड़ से ज्यादा के फिल्म उद्योग व्यवसाय को जहां मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की उत्तर भारतीय विरोधी मुहिम से धक्का लगा है वहीं उत्तरप्रदेश सरकार ने उस उद्योग को राज्य में स्थापित किए जाने से साफ मना कर दिया है।

भोजपुरी फिल्म उद्योग ने राजधानी लखनऊ समेत राज्य के किसी भी हिस्से में इसको मुंबई से यहां लाने के लिए अनुमति देने का आग्रह किया था लेकिन मायावती की सरकार ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। अब पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गए इस उद्योग को बिहार का ही भरोसा रह गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार की अरुचि के कारण अब भोजपुरी फिल्म उद्योग बिहार में जाने को तैयार है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने उद्योग को प्रदेश में आने के लिए आमंत्रित भी किया है। संस्कृति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि भोजपुरी फिल्म उद्योग को राजधानी लखनऊ समेत राज्य में कहीं भी बसाने को लेकर पत्र मिला था जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया, क्योंकि इस पर नीतिगत फैसला होना है जो मुख्यमंत्री के स्तर पर होता है।

अधिकारी ने इस मामले में ज्यादा कुछ कहने से इनकार किया, लेकिन यह संकेत जरूर दिया कि मुख्यमंत्री मायावती की नाचने गाने वाले उद्योग में ज्यादा रुचि नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सचिवालय को रोज कई पत्र मिलते हैं तथा इसमें निर्णय लेने में देर भी लग सकती है। संस्कृति विभाग के अधिकारी ने कहा कि भोजपुरी फिल्म उद्योग को नोएडा तथा अन्य इलाके में बसाने में कोई परेशानी नहीं है।

भोजपुरी टीवी चैनल महुआ पहले से ही नोएडा में है। नोएडा में बस उद्योग को जमाने के लिए अनुमति देने की जरूरत है क्योंकि आधार भूत सुविधायें वहां पहले से ही मौजूद हैं। भोजपुरी फिल्म के अभिनेता, निर्देशक तथा गायक मनोज तिवारी ने लगभग पंद्रह दिन पहले राज्य के संस्कृति मंत्री सुभाष पांडेय को पत्र लिखकर लखनऊ या राज्य के किसी इलाके में उद्योग को बसाने की अनुमति देने तथा इसमें मदद का आग्रह किया था। पत्र में कहा गया था कि मनसे की कार्रवाई से भय का माहौल है तथा मुंबई में अब काम कर पाना मुश्किल हो गया है। मनोज तिवारी ने कहा कि मुंबई में भोजपुरी फिल्म कलाकार, निर्माता और निर्देशक आतंक के साये में जी रहे हैं और वहां काम कर पाना मुश्किल होता जा रहा है लिहाजा अब इस उद्योग को लखनऊ या पटना में बसाना ही ठीक है।

भोजपुरी फिल्मों के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले कलाकार रवि किशन ने कहा कि यदि मुंबई के हालात नहीं सुधरते हैं तो पूरे भोजपुरी फिल्म उद्योग को बिहार या उत्तर प्रदेश में ले जाना ही ठीक होगा। भोजपुरी में साल में कम से कम बीस फिल्में बनती हैं तथा सैंकड़ों लोग इस उद्योग से जुड़े हैं जिनमें मराठी भाषी भी हैं। भोजपुरी फिल्मों में सुभाष घई, एकता कपूर तथा टिनू आनंद जैसे निर्माताओं ने भी पैसा लगाया है तथा अमिताभ बच्चन, राज बब्बर, जूही चावला, रति अग्निहोत्री और नगमा जैसी हिंदी फिल्मों के कलाकार ने काम किया है। उक्रेन की अदाकारा तान्या भोजपुरी फिल्म फिरंगी दुल्हनिया में रूसी लड़की का किरदार निभा चुकी हैं। ब्रिटेन की जसिका बाथ ने दो भोजपुरी फिल्मों में काम करने की मंजूरी दी है।

भोजपुरी की लोकप्रियता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 2005 में हिंदी की सबसे हिट फिल्म बंटी और बबली से ज्यादा का बिजनेस भोजपुरी फिल्म ससुरा बड़ा पैसे वाला ने किया था।

जागरण से साभार

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