1.11.08

छठी माई के बारात

खोल दीहिं प्रेम के दुअरिया ए बाबा
आइल बाटे छठी माइया के बारात
खीरिया व रोटिया के भोगवा लगाई
गोरिया रखेली आउर उपवास
खोल...............
छने-छने देखेली सुरतिया
घीउवा के बनावे पकवान
खोल..............
बांसे के सजावे टोकरिया
रखली पूजा के सगरो सामान
खोल..............
नंगे पंउवां चलेला टोलिया
करे सूरज बाबा के परनाम
खोल दीहिं प्रेम के दुअरिया ए बाबा
आइल बाटे छठी माइया के बारात
-मंतोष कुमार सिंह

सूर्योपासना का महापर्व छठ

सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ रविवार से शुरू होगा। इस महापर्व का पहला दिन नहाय खाय व्रत से शुरू होगा। श्रद्धालुओं रविवार को नदियों और तालाबों में स्नान करने के बाद पर्व के लिए तैयारी शुरू कर देंगे। छठ महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते है और उसके बाद एक बार ही दूध व गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब चांद नजर आए तब तक पानी पीते हैं और उसके बाद से उनका करीब ३६ घंटे का निराहार व्रत शुरू होता है। महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़ा होकर प्रथम अध्र्य अॢपत करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और कंद मूल से अध्र्य अॢपत करते हैं। छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अध्र्य देते हैं। दूसरा अध्र्य अॢपत करने के बाद ही श्रद्धालुओं का ३६ घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं।