27.10.08

श्रद्धा के दीप


मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

शांति से सुख मिली सबके
रीति से प्रीत पागल हो जाई।
मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

आस-प्यास के करीं चाकरी
पूजा-पाठ के कायल हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

याद से दिल के राज बताईं
रंग-रूप के पायल हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

मेल-भाव से प्यार जगाई
चारू ओर उजाला हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।
  • मंतोष सिंह

3 Comments:

ओमकार चौधरी said...

सुंदर.
समय मिले तो इस पर संपर्क करें
9996-9998-00

दिनेशराय द्विवेदी said...

दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
दीपावली आप और आपके परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए!

Udan Tashtari said...

वाह!! बहुत बढ़िया!!


आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.