24.10.08

युद्धपोत अमेरिकी, लेकिन संगीत भोजपुरी!

करीब सात एकड़ का विशाल अमेरिकी परमाणु पोत ‘यूएसएस रोनाल्ड रीगन’ अरब सागर में रात के घुप्प सन्नाटे में मंथर गति से चल रहा है और उसके ‘फ्लाईडैक’ से मीठी भोजपुरी गीत की तान उठ रही है।दुनिया के इस सबसे विशाल विमानवाही पोत पर तैनात करीब 60 लड़ाकू विमानों के बीच यह भोजपुरी गीत कौन गुनगुना रहा है?....पोत पर करीब साढ़े चार हजार अमेरिकी तैनात हैं और रात के भोजन का दौर समाप्त होने के बाद वे सोने की तैयारी कर रहे हैं। दिनभर तकरीबन 12 घंटे की 75 उड़ानों के शोर के बाद अब माहौल शांत हो चला है। ऐसे में वह कौन हो सकता है जो भारत की इस मीठी जुबान में तराने छेड़ रहा है।चार-पांच अमेरिकी नौसैनिक गौतम कुमार मोरोतिया के आसपास जमा हैं और बड़े चाव से वह गीत सुन रहे हैं। उन्हें भोजपुरी का एक शब्द भी नहीं आता, लेकिन जुबान और मोरोतिया के सुर की मिठास मंत्रमुग्ध करने वाली है।मोरोतिया भारतीय नहीं हैं। वे मॉरीशस में पैदा हुए हैं और 13 साल पहले अमेरिका चले गए थे। आठ साल पहले वे अमेरिकी नौसेना में शामिल हो गए। उस समय ‘यूएसएस रोनाल्ड रीगन’ बेड़े में शामिल में भी नहीं हुआ था और निर्माण के दौर से गुजर रहा था।
‘निमित्ज क्लास’ का यह नौवां जंगी पोत भारत और अमेरिका के संयुक्त नौसैनिक अभ्यास “मालाबार” के तहत अरब सागर में आया हुआ था और मोरोतिया महीनों से इस अभ्यास की बाट जोह रहे थे। आठ दिनों का यह अभ्यास आज सम्पन्न हो गया है। इस विमानवाही पोत पर जब भारतीय पत्रकारों के दल के आने का मोरोतिया को पता चला, तो वे इस बीस मंजिला पोत की 14 मंजिल पर हांफते-हांफते पहुंच गए।“मैं मोरोतिया हूं और आपके आने की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा था, उसने ठेठ हिंदी में कहा”।उनकी आंखों में आत्मीयता और उल्लास का सागर उमड़ रहा था। उन्होंने रहस्योदघाटन की मुद्रा में कहा, “चार पुश्तें पहले हमारे परिवार के लोग मॉरीशस आ गए थे। हम कोलकाता के रहने वाले थे। मैं मॉरीशस में ही पैदा हुआ और परिवार की भोजपुरी जुबान को मैंने कभी नहीं भूलने दिया”।मोरोतिया अमेरिकी नौसेना को अपनी सेवाएं देकर अभिभूत महसूस करते हैं।वे मैकेनिक हैं और भारत, मॉरीशस, अमेरिका और भोजपुरी के तार आपस में जोड़ने का उन्हें बेहद गर्व है। मोरोतिया ने बताया कि रात को फ्लाईडैक पर आकर जब वे भोजपुरी गीत गुनगुनाते हैं, तो दिनभर की थकावट उतर जाती है।
मोरोतिया ने बताया कि उनके बीच एक और भारतीय है, महेश शाह। फिर वह शाह को भी ढूंढकर ले आते हैं।महेश शाह इस अमेरिकी पोत से उड़ान भरने वाले ‘सुपर हॉर्नेट’ लड़ाकू विमानों की आंख-कान की तरह हैं। वे फ्लाई डैक पर उतरने वाले विमान को रास्ता बताते हैं और इंगित करते हैं कि पायलट को किस कोण से विमान उतारना है।शाह और मोरोतिया ‘यूएसएस रोनाल्ड रीगन’ की विशालता और उसकी खूबियों को कंठस्थ किए हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस जंगी पोत का रोज का खर्च दस लाख डॉलर (करीब पांच सौ लाख रूपए) है।यहां ढाई सौ गैलन दूध की रोज खपत होती है और 1200 अंडे यहां के नाविक प्रतिदिन हजम कर जाते हैं।

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