21.10.08

खड़ी दुपहरिया में बहार हो जाला

खड़ी दुपहरिया में बहार हो जाला॥
आवे जे संदेशा दिल जवान हो जाला..
जब से बलम जी परदेश गईले॥
हमरे जियरवा के सुधि नाही लिहले॥
एही बेरुखी से मनवा लाल हो जाला..
आवे जे संदेशा .......
अँखियों ही अँखियों में कटे सारी रतिया॥
दिनवा में चीर जाला सासु के बतिया॥
अईसे ताना मारे देहियाँ काठ हो जाला॥
आवे जे संदेशा .......
आज काल करत करत महीनो बीतेला॥
आवेले त रतिया उनके अँखियाँ कटेला॥
रुसले मनावे के मौको ना मिलेला॥
आवे जे संदेशा .......
सखियन से सीख लेके रहता बनवलीं॥
सासुजी से चोरी छिपे मोबाइल लेअवलि।
करीले मोबाइल त मिस कॉल हो जाला॥
आवे जे संदेशा .......
खड़ी दुपहरिया में बहार हो जाला॥
आवे जे संदेशा दिल जवान हो जाला॥
अभय त्रिपाठी
अंजोरिया से साभार

1 Comment:

संतराम यादव said...

अति सुंदर, दिल को छू जाने वाली रचना है.