6.12.08

भोजपुरी में 'लगान, जैसी फिल्म बनाऐंगे मनोज तिवारी


भोजपुरी के गायक से सुपर स्टार एवं फिल्म निर्माता बने मनोज तिवारी अगले वर्ष एक ऐसे फिल्म बनाने की घोषणा की जिसमें भोजपुरी एवं मैथिली दोनों ही भाषाओं का प्रयोग समान रूप से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा में वह हिन्दी फिल्म लगान जैसी फिल्म बनाएंगे, शोषण के विरूद्ध संघर्ष को क्रिकेट के जरिये सामने लाएंगे। तिवारी ने कहा कि श्रोता दो तरह के होते हैं। एक सडक़ का और दूसरा घर का। मेरा लक्ष्य घर के श्रोता तक पहुंचने का है। इसीलिए वह अपने गायन में अश्लीलता और फुहड़ता को तरजीह नहीं देते हैं। तिवारी ने कहा कि मुम्बई में उनका दम घूट रहा है और गांव से दूर रहने से उनकी रचनाधॢमता कुंद हो रही है। उन्होंने कहा कि मां एवं मातृभूमि से कोई भी बेटा दूर नहीं रहना चाहता है।

5.12.08

इग्नू में भोजपुरी के कोर्स के का भैलू बा ?

  • शैलेश मिश्र (डैलस, टैक्सस, अमेरिका)

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविधालय (इग्नू) जनवरी २००९ से भोजपुरी में फाउंडेशन कोर्स चालू करे के घोषणा कईले बा जवन कि भोजपुरी भाषा के बढावा देबे में एगो नया कदम बा अउरी भोजपुरी के औपचारिक रूप से पढाई में मदद करी. साथ ही एहसे भोजपुरी भाषा के मान्यता मिले में सहायता भी मिली. इग्नू के प्रोफेसर शत्रुघ्न कुमार भोजपुरी भाषा के लेके जोर-शोर से पाठ्यक्रम तैयार करे में लागल बाडन आ उनुकर प्रयास सराहनीय बा. इग्नू में भोजपुरी के पढाई एगो ऐतिहासिक कदम बा लेकिन एह भोजपुरी पाठ्यक्रम के इंडस्ट्री, मीडिया, भोजपुरिया समाज और छात्र-छात्रा के नज़र में का भैलू बा ?

भोजपुरी कोर्स होखे भा कौनो अउरी भाषा के पढाई -- ओकर भैलू तबे होला जब भाषा के विशेषज्ञ आ सही ज्ञान वाला जानकार लोग, कोर्स के निर्माण में शुरूवे से रहे. एह पर तनी ध्यान दिहीं, त सवाल उठेला भोजपुरी कोर्स के कंटेंट पर, आ पाठलेखक पैनल पर - जवना आधार पर आवे वाला भोजपुरी पढाई के नींव टिकल बा. इग्नू भोजपुरी भाषा के लेके गंभीर बा लेकिन हाल ही में एगो अइसनका आदमी के भोजपुरी कोर्स के पाठ लेखक के रूप में, पैनल में शामिल कईलस जे ना त शिक्षक हवन, ना प्रोफ़ेसर हवन आ ना ही कौनो साहित्यकार. एहसे भोजपुरी विभाग आ भोजपुरी कोर्स के भैलू पर प्रश्न-चिह्न लाग गईल बा . कवनो जरूरी नइखे कि पोपुलर और सर्वत्र व्यापी लोग हर क्षेत्र में सर्वज्ञो होखे.

१८ लाख से ज्यादा छात्रन के पढ़ावे वाला इग्नू में भोजपुरी कोर्स के पाठलेखकन का पैनल में, आज बुझात बा कि केहू भी शामिल हो सकेला आ जवन मन में आए, तवन विचार कोर्स में डलवा सकेला. कोर्स सलाहकार आ पाठ लेखक में अन्तर होला, पर दुनो में अनुभवी लोगन के सहायता चाहीं. प्रोफेसर शत्रुघ्न कुमार जइसन अनुभवी लोगन का निगरानी में भोजपुरी के पढाई पर एक ओर करोड़ों भोजपुरिया लोग आस लगाई के बईठल बा, त दूसरा ओर आवे वाला भोजपुरी पढाई के भविष्य बेसब्री से राह ताकऽतिया. लेकिन इग्नू विश्वविद्यालय के भोजपुरी शिक्षक-लेखक पैनल टीम जब मीडिया के चकाचक से चौंधिया जाय अउरी केहू के भी शामिल कर ले, त भोजपुरिया समाज में इग्नू के आवे वाला भोजपुरी कोर्स के का भैलू रही ?

कहल जाला कि भाषा जेतने सीखीं, ओतने नीमन बा काहें से कि भाषा से विचार के विकास होला. लेकिन विश्व के सबसे बड़का विश्वविधालय - इग्नू भी बिना कौनो आधार के अगर भोजपुरी पैनल में लोगन के शामिल करे लगे, त समझ लीं कि शिक्षा भी बिकाऊ हो सकेला आ काल-परसों बछिया के ताऊवो भोजपुरी के नाम पर कोर्स चालू करे लगिहन. वेबसाइट चलावे वाला इन्टरनेट मीडिया के लोग अगर भोजपुरी फाउंडेशन कोर्स के पाठ्यक्रम लिखे लगे त काल-परसों पंचायत के कहला पर पानवाला-दूधवाला भी इग्नू, बिहार यूनिवर्सिटी अउरी पूर्वांचल विश्वविद्यालय जईसन शिक्षा के मन्दिर चलावे लगिहन. नीमन सलाह केहू भी दे सकेला पर नीमन पाठ्यक्रम निकालल सबके बस के बात नइखे. आई.आई.टी से लेके टॉप कॉलेजन तक सैंकडों भोजपुरी भाषा विशेषज्ञ लोग बैठल बा, लेकिन इग्नू के नज़र मीडिया में फ़िसल गईल. इग्नू कवनो प्राइवेट संस्था ना ह, एकरा मतलब ई ना ह कि सरकारी विश्वविधालय में सरकारी राज चले.

भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य सम्बन्ध पूजनीय रहल बा लेकिन इग्नू के भोजपुरी कोर्स में अगर केहू भी गुरु के स्थान पर बईठे लागी, त शिक्षा में शिष्य के विश्वास ख़तम हो जाई अउरी अईसन कोर्स के प्रमाण-पत्र के भोजपुरी इंडस्ट्री में भैलू घट जाई। इहे ना, भोजपुरी डिग्री प्रदान करेवाला कॉलेज या विश्वविद्यालय भी हँसी के विषय बन के रही जाई. इग्नू के मान-मर्यादा अउरी फियुचर में भोजपुरी कोर्स के का भैलू रही, ओहसे लोग भोजपुरी सीख पायी कि ना, भोजपुरी पढ़िके कोर्स सर्टिफिकेट से लोग भोजपुरी इंडस्ट्री में नौकरी पायी कि ना - ई सब सवाल के जवाब आवे वाला समये बता पायी. फ़िलहाल त इग्नू में भोजपुरी राम भरोसे बिया.

(बलिया जिला के शैलेश मिश्र हिन्दी आ भोजपुरी भाषा के लेखक कवि हउवन; भोजपुरी असोसिएशन ऑफ़ नॉर्थ अमेरिका के संस्थापक आ अध्यक्ष हउवन; भोजपुरी के प्रसिद्ध सोशल नेटवर्क - भोजपुरीएक्सप्रेस।कॉम के सृजनकर्ता हउवन अउरी भोजपुरी मीडिया मंत्र ग्रुप के सलाहकार आ भोजपुरी असोसिएशन ऑफ़ इंडिया के शुभ-चिन्तक हउवन)

अंजोरिया से साभार

2.12.08

भोजपुरी लोकगीत का म्यूजिक में नया प्रयोग कर के आपन एगो नया पहिचान बनावल चाहत बानी ; पंकज प्रवीण

उभरत गायक पंकज प्रवीण से एगो बातचीत के अंश नीचे दिहल जा रहल बा.

-पंकज जी, पहिले अपना बारे में कुछ बताई ?

हमार घर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला में बा. बचपन के पढ़ाई गाँव में कईला का बाद बहराइच शहर में आ गइनी आ ६ठवीं क्लास से ले के ग्रेजुएशन तक के पढ़ाई ओहिजे से कईनी. हमार पापा जी एगो साधारण किसान हई, जे खेती किसानी से समय बचला के बाद एगो डॉक्टर का रूप में समाज सेवा भी कर लिहीना. हमरा अलावा अभी सब लोग गाँवहीं में ही रहेला.

-भोजपुरी क्षेत्र में ना रहला के बादो भोजपुरी से अतना लगाव कइसे बा ?

ई बात सही बा कि हमार आ हमरा पापा जी के जनम बहराइचे में भईल. बाकिर हमार दादा जी करीब पचास साल पहिले बिहार छोड़ के बहराइच आ के बस गइल रहनी. पचास साल बादो हमनी के घर परिवार आ संस्कार भोजपुरीये आ बिहारीये बा. हमरा गाँव में ९० फीसदी लोग बिहार भा पूर्वी उतेर प्रदेश से बा. कह सकीले कि कुल मिला के हमरा गाँव के माहौल एगो मिनी बिहारे नियन बा. बचपन में त हमरा इहो पता ना रहे की भोजपुरी का होला और हिन्दी का होला. एही वजह से हमरा भोजपुरी से अतना लगाव बा.

-भोजपुरी लेखन आ संगीत में रूचि कब से जागल?

जब हम आगे के पढ़ाई करे शहर में अईनी त बहुते सारा लोग से मुलाकात आ जान पहिचान भईल. लोगन से बातचीत कइला का बादे हमरा अपना मातृभाषा के महत्व के पता चलल. दुसर बात ई रहे कि लोग भोजपुरी के अतना महत्व ना देत रहे. जेकरा वजह से मन में भोजपुरी के खातिर एगो मोह लाग गइल आ ओहि से भोजपुरी लेखन आ संगीत में रूचि जाग गइल.

-फेर भोजपुरी गीत संगीत के सफ़र कहा से शुरू भइल ?

वैसे त हम बचपने से स्कूल कॉलेज में प्रतियोगिता में गीत संगीत लेके हिस्सा लेत रहनी, लेकिन भोजपुरी में संगीत के सफ़र "मनोज भइया" (मनोज तिवारी मृदुल) के प्रोग्राम देखला के बादे शुरु भइल. हम उनकरे के आपन आइडियल मान के बिना कौनो गुर के गीत गावल शुरु कर दिहनी. लोग पसंदो करे लागल त हम अपन पहिला स्टेज प्रोग्राम एनसीसी के प्रोग्राम में कइनी जहाँ भोजपुरी लोकगीत गवला खातिर हमरा के प्रथम पुरस्कार मिलल आ गोल्ड मैडल आ शील्डो मिलल. ओहिजे से सगीत के सफ़र शुरु भइल. सबले बड़ पुरस्कार हमारा अपना कॉलेज के गीत पतियोगिता में मिलल जहा ५० हिन्दी प्रतियोगियन का बीच हमरा के प्रथम पुरस्कार मिलल.

-राउर पहिलका अलबम "दिल दीवाना भइल" के शुरुआत कइसे भईल आ अलबम का बाद कइसन लागऽत बा ?

कॉलेजे का समय से हमारा अंदर भोजपुरी लोकगीत के जूनून रहल. ओकरा के पूरा करे के खातिर हम दिल्ली आ गइनी. भोजपुरी अलबम खातिर हमरा घर से कवनो सहायता भा प्रोत्साहन ना मिलल तबो हम अपना मन से अपना कमाई से अलबम के शुरुवात कइनी. बाकिर सब कुछ का बादो कुछ लोगन का वजह से हमार सपना वइसन पूरा ना भईल जइसन हम सोचले रहीं.खुशी बस अतने बा कि बहुत कुछ सीख गइनी जिन्दगी का बारे में आ लोगन से अतना प्यार मिलल जेतना हम सोचलहूं ना रहली.

-का सोच के आपन अलबम निकाले के सोचनी ?

देखीं. हम बहुत सारा भोजपुरी गीत सुनली. बहुत सारा गायकन लोग के सुनली. सब लोगन के विषयवस्तु आ अंदाज एकही जइसन रहे. आ अश्लीलता भोजपुरी के एगो सबसे बड़ा बीमारी लागत रहल. त हम सोचनी कि एगो नया अंदाज का साथे अश्लीलता के हटावे के कोशिश कहे ना कइल जाऊ ? बस इहे सोच के गीत के तइयारी शुरु कर दिहनी आ ओकरे परिणाम दिल दीवाना भइल का रूप में आइल, जवन आप के सामने बा.

-दिल दीवाना भइल के बारे में कुछ बताई ?

"दिल दीवाना भइल" एगो साफ सुथरा अलबम बा जेहमें लगभग सब प्यारे के गीत बा. एह गीतन के घर परिवार में भी सुनल जा सकेला. एकर शीर्षक गीत सबसे अछा बन गइल बा, जेकरा के हर उमिर के लोग पसंद कइले बा. हम समझत बानी कि शायद ई भोजपुरी के पहिला अलबम बा जेकरा में अश्लीलता के नाम पर कुछुओ नइखे.

-अब आगे का करे के बा ?

आगे हम दू गो आउरी अलबम के तइयारी करत बानी जे में से एगो के नाम बा "सोनू जी के पापा" और तीसरा अलबम होली तक आ जाई. एकरा अलावा हम कुछ नया टैलेंट का साथे भोजपुरी के पहिलका म्यूजिक बैंड "स र ग म राग भोजपुरी" ओ पर काम कर रहला बानी.

-रउरा भोजपुरी गीत से अश्लीलता हटावे के बात करत बानी. एहमे कहाँ तक सफल हो पाएब ?

देखीं. पहिलका अलबम का बाद हमार मनोबल बहुत बढ़ गइल बा. हम जवन चीज सुनावल चाहत रही ओकरा के लोग पसंदो कईलस. आ जब रेस्पोंस अच्छा आईल त हमरा का परेशानी बा ? अजी एही तरे काम करत रहब आ एकरा साथे हम भोजपुरी लोकगीत का म्यूजिक में नया प्रयोग कर के आपन एगो नया पहिचान बनावल चाहत बानी.

अंजोरिया से साभार